रतन टाटा 82 साल के हुए, जानिए एक बिजनेसमैन से महान व्यक्ति बनने की पूरी कहानी

बिजनेस की दुनिया में तो रतन टाटा ने खूब नाम कमाया लेकिन प्यार के मामले में वह असफल ही साबित हुए, एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने अपनी लव लाइफ के बारे में भी खुलासा किया था,
रतन टाटा 82 साल के हुए, जानिए एक बिजनेसमैन से महान व्यक्ति बनने की पूरी कहानी

न्यूज –  आज रतन टाटा का जन्मदिन है वे आज अपना 82 वां जन्मदिन मना रहे है यू तो आपने रतन टाटा के बारे में बहुत सुना होगा लेकिन आज हम आपको उनसे जुडे कुछ अनसुने किस्सों के बारें में बतायेंगे।

 तो चलिए शुरूआत करते है।

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सुरत शहर में हुआ था उनका जन्म एक पारसी परिवार में हुआ। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन ने अपनी एक अलग पहचान बनाई और बेहतर मुकाम हासिल किया, टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के बाद उन्होनें जनवरी 2013 में अपने कार्यभार से रिटायरमेंट ले लिया था, बिजनेस की दुनिया में तो रतन टाटा ने खूब नाम कमाया लेकिन प्यार के मामले में वह असफल ही साबित हुए, एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने अपनी लव लाइफ के बारे में भी खुलासा किया था, उन्होंने कहा कि उन्हें भी प्यार हुआ था और वह चार बार शादी के बंधन में बंधने से रह गये। टाटा ने कहा था कि दूर की सोचते हुए उन्हें लगता है कि अविवाहित रहना उनके लिए ठीक साबित हुआ, क्योंकि अगर उन्होंने शादी कर ली होती तो स्थिति काफी कठिन होती।

रतन टाटा ने इस इन्टव्यू में कहा कि अगर आप पूछें कि क्या मैंने कभी दिल लगाया था, तो आपको बता दूं कि मैं चार बार शादी करने के लिए गंभीर हुआ और हर बार किसी न किसी डर से मैं पीछे हट गया, जब मैं अमेरिका में काम कर रहा था, तो शायद मैं प्यार को लेकर बेहद गंभीर हो गया था और हम केवल इसलिए शादी नहीं कर सके, क्योंकि मैं वापस भारत आ गया,

रतन टाटा की प्रेमिका भारत नहीं आना चाहती थीं, उसी वक्त भारतचीन के बीच युद्ध भी छिड़ा हुआ था, आखिर में उनकी प्रेमिका ने अमेरिका में ही किसी और से शादी कर ली, लेकिन इस मामले में आगे बताने से इनकार किया,

 रतन टाटा का एक किस्सा यह भी है कि टाटा पहले से ही कमर्शियल और पैंसेजर व्हीकल बनाती थी पर आम आदमी का कार का सपना पूरा करने के लिए 30 दिसंबर 1998 में लग्जरी कार इंडिगा लांच की। रतन टाटा का ये प्रोजेक्ट ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसको पूरा करने के लिए उन्होनें बहुत मेहनत की थी। लेकिन विशेषज्ञों ने इस कार को लेकर बहुत आलोचना की, जिसका फर्क इंडिगा की सेल पर पडा। और इंडिगा को मार्केट से बिल्कुल भी अच्छा रेंस्पांस नहीं मिला। इसकी वजह से टाटा मोटर्स को व्यापार में.बहुत घाटा हुआ।

इसके बाद रतन टाटा की खुब आलोचना हुईरतन टाटा के मित्रों और करीबी लोगों ने कार व्यापार किसी और कंपनी को बेचने का सुझाव दिया। रतन टाटा ने सुझाव को सही समझा और कार व्यवसाय को बेचने का प्रस्ताव को फोर्ड कंपनी के पास लेकर गये। फोर्ड कंपनी के चैयरमेन बिल फोर्ड और रतन टाटा दोनो एक-दुसरे को समझते थे। मींटिग के दौरान बातों-बातों में बिल फोर्ड ने रतन टाटा को कहा था कि "जब आपको कार बनानी नहीं आती तो आपने इसमें पैसे इन्वेस्ट क्यु किये। ये कंपनी खरीदकर हम तुम पर बहुत बडा एहसान कर रहे है"

ये बात रतन टाटा को दिल पर लगी और रातों-रात अपने पार्टनर के साथ मीटिंग छोडकर वापस चले आये। पुरे रास्ते रतन टाटा सोचते रहे और खुद को अपमानित महसूस करते रहें। अब उन्हें अपनी सक्सेस से टाटा को फोर्ड के प्रतिस्पर्धी बनाना था। इससे बाद रतन टाटा ने सालों तक रिसर्च की और अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। 

रतन टाटा ने अपनी पुरी जान लगाकर इंडिगा का नया वर्जन इंडिगा वी 2 लांच किया। इसमें भी शुरूआत में झटके मिले लेकिन धीरे धीरे रतन टाटा का कार का बिजनेस अच्छी खासी लय में आगे बढने लगा। और कंपनी को बेहद मुनाफा हुआ

वही दुसरी और फोर्ड कंपनी जगुआर और लैंड रोवर की वजह से घाटा झेल रही थी। और साल 2008 तक दीवालिया होने के कगार तक पहुंच गई, उस समय रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी के सामने जगुआर और लैंड रोवर खरीदने का प्रस्ताव रखा। जिसे बिल फोर्ड ने स्वीकार कर लिया।

इससे बाद मिंटिग में बिल फोर्ड ने कहा कि "आप हमारी जगुआर और लैंड रोवर खरीद कर एहसान कर रहे है।" इसके बाद जगुआर और और लैंड रोवर टाटा मोटर्स के साथ बेहतर व्यापार कर रहे है। इस मींटिंग में रतन टाटा चाहते तो फोर्ड चैयरमैन को उसी तरह जबाव दे सकते थे लेकिन उन्होनें ऐसा नहीं किया। रतन टाटा की ये बात एक महान इंसान और सफल व्यक्ति का अंतर बताती है। 

रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा और मां का नाम सोनू टाटा था। रतन टाटा ने अपनी शुरूआती शिक्षा मुंबई और शिमला में पूरी की। 1948 में रतन टाटा जब 10 साल के थे तो उस समय उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। जिसके बाद उनकी दादी ने उनको संभाला,

रतन टाटा का शुरू से ही आर्कीटेक में काफी इंटरेस्ट था। इसलिए वो आगे की शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। और वंहा की कोर्नेल युनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। रतन टाटा थोडे शर्मीले इंसान थे और समाज की झूठी चमक-धमक में कम ही विश्वास रखते थे। रतन टाटा ने अपने टाटा नाम को भूलकर खूद के दम पर शिक्षा का लक्ष्य थामा। और रतन टाटा ने अमेरिका में अपनी शिक्षा खत्म होने तक कमाई के लिए होटल में बर्तन माजने से लेकर कई छोटे काम किये1959 में उन्हें बेचलर इन आकिटिक्ट की ड्रिग्री मिली।  

रतन टाटा ने शादी नहीं की, उन्हें किताबों और जानवरों से काफी लगाव है। टाटा ग्रुप की आज दुनिया भर में 100 से ज्यादा कंपनिया है और जिसमें 7 लाख से ज्यादा एम्लाइज काम करते है। रतन टाटा को वैसे तो दुनिया भर के ढेरों पुरस्कार मिले है लेकिन भारत सरकार ने रतन टाटा को साल 2000 में पद्म भूषण और साल 2008 में पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया गया है। ये सम्मान देश के तीसरे और दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं। 

तो ये थी रतन टाटा के कुछ अनसुने किस्सें जो हमने आपको बतायें, अतं में आपको रतन टाटा के विचार जरूर जानने चाहिए रतन टाटा का मानना है कि "यदि जीवन में सफल होना है तो सफल व्यक्ति की तरह काम करना चाहिए और उसके बताए रास्ते पर चलना चाहिए पर रतन टाटा ऐसा नहीं मानते हैं उनका कहना है कि 'प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण एवं कुछ विशेष प्रतिभाएं होती हैं इसलिए व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए अपने गुणों की पहचान करनी चाहिए' यहां तक कि रतन टाटा ने सायरश मिस्त्री को भी यही कहा था कि कभी भी रतन टाटा बनने की कोशिश मत करना"

आज रतन टाटा के जन्मदिन पर बनाई गई हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट कैसी लगी आपकी हमें कमेंट करके जरूर बतायें, और ऐसे ही तथ्य जानने के लिए आप बने रहें हमारे साथ,

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