डेस्क न्यूज – RBI monetary policy – भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से रेपो रेट में इस बार भी कोई बदलाव नहीं किया है।
ऐसे में रेपो रेट अभी भी फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर ही रहेगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) के फैसलों की घोषणा की।
साथ ही शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।
साथ ही मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट और बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह पहले की तरह ही 4.25% है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि चौथी तिमाही में सीपीआई महंगाई (CPI inflation) के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
इससे पहले आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा से पूर्व आज भी शेयर बाजार में तेजी देखी गई।
सेंसेक्स 400 अंक की तेजी के साथ पहली बार 51000 के पार पहुंच गया।
बाजार में लगातार रिकॉर्ड तेजी
आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी के निर्णय वाले दिन शेयर बाजार में रिकॉर्ड रैली देखने को मिल रही है। 5 फरवरी के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्स ने अपना नया
रिकॉर्ड बना दिया है। सेंसेक्स जहां पहली बार 51000 के पार निकल गया, वहीं निफ्टी ने भी 15000 का बैरयर तोड़ दिया
है। माना जा रहा है कि बजट के बाद
आरबीआई के एलानों से भी बाजार में पार्टी जारी रह सकती है. आज सेंसेक्स ने 51031 का नया रिकॉर्ड बनाया है।
आखिरी 3 पॉलिसी में आरबीआई ने दरों में नहीं किया कोई बदलाव
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने पिछली 3 बार के बैठकों में प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.
मौजूदा समय में रेपो रेट 4 फीसदी है जो 15 साल का लो है। वहीं, इस समय रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है।
इस दर पर बैंक अपने पास जमा धनराशि रिजर्व बैंक के पास जमा कराते हैं। माना जा रहा है कि
इस बार भी आरबीआई ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा। वहीं नीतिगत
समीक्षा में मौद्रिक रुख को उदार बनाए रखने की कोशिश करेगा।
क्या होती है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 का बजट
पेश होने के बाद यह आरबीआई की पहली पॉलिसी है. छह सदस्यों वाली एमपीसी की बैठक बुधवार 3
फरवरी से शुरू हुई थी। सेंट्रल बैंक ने पिछले साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में 1.15 फीसदी की कटौती की है।
RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए GDP ग्रोथ रेट 10.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है,
जबकि, आर्थिक सर्वे में इसे 11 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। वहीं इस वित्त वर्ष
GDP में 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया गया है।