Char Dham Yatra: अगर आप भी चार धाम यात्रा का बना रहें है प्लान, तो जान ले ये बातें

अगर आप भी चार धाम यात्रा पर जानें का प्लान बना रहे हैं, तो जान लें चार धाम यात्रा का महत्व और आस-पास घूमने की जगह। इस साल चार धाम यात्रा की शुरुआत 10 मई को अक्षय तृतीया से हो रही है और इसी दिन गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खोलें जाएंगे, जबकि 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम की यात्रा पूरी तरह से शुरू हो जाएगी।
Char Dham Yatra: अगर आप भी चार धाम यात्रा का बना रहें है प्लान, तो जान ले ये बातें
Char Dham Yatra: अगर आप भी चार धाम यात्रा का बना रहें है प्लान, तो जान ले ये बातें

अगर आप भी चार धाम यात्रा पर जानें का प्लान बना रहे हैं, तो जान लें चार धाम यात्रा का महत्व और आस-पास घूमने की जगह। इस साल चार धाम यात्रा की शुरुआत 10 मई को अक्षय तृतीया से हो रही है और इसी दिन गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।

जबकि 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम की यात्रा पूरी तरह से शुरू हो जाएगी। हिंदू धर्म में चार धाम को बहुत ही पवित्र स्थल माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि अगर व्यक्ति अपने जीवन में चार धाम की यात्रा कर ले, तो उसे जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गंगोत्री

गंगोत्री उत्तराखंड के चार धाम तीर्थस्थलों में से एक है। गोमुख गंगोत्री ग्लेशियर में भागीरथी नदी का स्रोत है, जो गंगा नदी के मुख्य धाराओं में से एक है। गोमुख गंगा नदी का उद्गम स्थल भी है। देवप्रयाग के बाद से यह अलकनंदा में मिलती है।

इसलिए देवप्रयाग को संगम स्थल कहा जाता है। जो गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है। गंगोत्री में प्राचीन गंगा मंदिर, भैरों घाटी, मुखबा गांव, हर्षिल, नंदनवन तपोवन, गंगोत्री चिरबासा और केदारताल मुख्य तीर्थस्थल है।

यमुनोत्री

यमुनोत्री, यमुना नदी का स्त्रोत है। यह उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में 10,804 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पूंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है।

यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण का केंद्र देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी में पवित्र तापीय झरना हैं। भूगर्भ से उत्पन्न 90 डिग्री तक गर्म पानी के जल का कुंड है, जिसमे सूर्य-कुंड और पास ही ठंडे पानी का कुंड है, जिसे गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है।

केदारनाथ

केदारनाथ धाम चार धाम यात्रा में शामिल स्थलों में से एक है। केदारनाथ उत्तरी भारत के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।

शिव पुराण के अनुसार केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन करने के बाद जो व्यक्ति वहां का जल ग्रहण कर लेता है, उसे दोबारा किसी जन्म नहीं लेना पड़ता है। इसे मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। केदारनाथ मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है।

मंदिर के मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा मार्ग है, जहां मंदिर के बाहर परिसर में शिव जी के वाहन नंदी विराजित हैं। यहां शिवजी का विशेष पूजन किया जाता है। आप केदारनाथ में गांधी सरोवर, सोनप्रयाग, गौरीकुंड मंदिर, वासुकी ताल भी दर्शन करने जा सकते हैं।

बद्रीनाथ

चार धाम का चौथा स्थल है बद्रीनाथ धाम। बद्रीनाथ धाम को नर और नारायण का संगम स्थल भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ को विशालपुरी भी कहा जाता है।

बद्रीनाथ धाम में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है, इसलिए इसे विष्णुधाम भी कहा जाता है। बद्रीनाथ लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

गढ़वाल हिमालय में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह शहर नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर में चार भुजाओं वाली काली पत्थर की मूर्तियां है। यहां भगवान श्री विष्णु पद्मासन की मुद्रा में विराजमान है

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