नई दिल्ली – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार को आदेश देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों मे टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स (टीडीएस) की मात्रा 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, उन क्षेत्रों में सप्लाई होने वाला सीधे नल से पीया जा सकता है।
एनजीटी ने कहा कि देश में केवल ऐसे आरओ को ही मंजूरीदी जाए जो 60 फीसदी से अधिक पानी निकाले, सरकार द्वारा नईनीति में आरओ से 75 फीसदी पानी निकलना चाहिए और जो 25 फीसदी पानी रिजेक्ट होकर निकलेगाउस पानी का उपयोग फर्श की धुलाई, बर्तन धोने, पेडों में देने का प्रावधान होना चाहिए। लोग अभी आरओ से निकलने वाले पानी काइस्तेमाल पानी पीने के अलावा अपने कपड़े धोने, बर्तन धोने,आदि में करते है। ऐसे में पानी के व्यर्था को देखते हुए एनजीटी ने येआदेश जारी किए।
वही एनजीटी ने केंद्र सरकार को अपने आदेश में कहाकि आरओ के पानी से शरीर में होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बताना चाहिए।
नेशनल ग्रीनट्रिब्यूनल ने कहा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय उन स्थानों पर आरओ के इस्तेमाल पर प्रतिबंधलगाने के आदेश दे सकते है जहां पानी में टीडीएस 500 एमजी प्रति लीटर से कम है और जहांपर भी आरओ की अनुमति है वहां यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि 60 प्रतिशत से अधिक पानीको पुन: इस्तेमाल में लाया जाए।'
टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स (टीडीएस) जोअकार्बनिक लवण के साथ ही कार्बनिक लवण की थोड़ी सी मात्रा से मिलकर बनता है। विश्वस्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में 300 एमजी सेनीचे टीडीएस बेहतरीन माना जाता है, जबकि 900 एमजी खराब और1200 एमजी अस्वीकार्य है। रिवर्स ओसमोसिस के जरिए पानी में मौजूद अशुद्धियां को दूरकिया जाता है।
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