पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पाकिस्तानी महिला मित्र अरूसा आलम को लेकर सियासी बवाल मच गया है. इसकी शुरुआत गृह विभाग देख रहे डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा के बयान से हुई। रंधावा ने अरूसा आलम के आईएसआई कनेक्शन की जांच की मांग की थी, जिसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया। ट्विटर पर भी दोनों भिड़ गए।
हालांकि, दिल्ली पहुंचने के बाद रंधावा जांच से मुकर गए। उन्होंने कहा कि यह 2 देशों से जुड़ा मामला है, जिसकी जांच सिर्फ रॉ कर सकता है. वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी के साथ अरूसा आलम की पहुंच दिखाते हुए एक फोटो जारी की है.
डिप्टी सीएम रंधावा जालंधर के पीएपी कॉम्प्लेक्स में पुलिस स्मृति दिवस पर पहुंचे थे. यहां उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अरूसा आलम यहां अमरिंदर के सरकारी आवास में साढ़े चार साल तक रहीं।
इसके बाद कैप्टन रंधावा पर बरस पड़े। उन्होंने रंधावा से पूछा कि क्या वे पर्सनल अटैक पर आ गए हैं। कैप्टन ने कहा कि जब रंधावा मेरी सरकार में मंत्री थे, तब तो कोई शिकायत नहीं की। अरुसा भारत सरकार की मंजूरी पर 16 साल से यहां आ रही है। क्या रंधावा कह रहे हैं कि एनडीए के साथ-साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भी आईएसआई के साथ मिली हुई है।
अमरिंदर की बातों से रंधावा भी दंग रह गए। उन्होंने कहा कि मैं एक सच्चा राष्ट्रवादी हूं। हमने पंजाब सरकार को किसी से आउटसोर्स नहीं किया है। पुलिस अब चीकू और सीताफल नहीं बल्कि लोगों की रक्षा कर रही है। मौड़ मंडी ब्लास्ट, बरगाड़ी बेअदबी और नशे के मामले में अमरिंदर फेल रहे। अब हम इन सबको आने वाले दिनों में इनकी जांच के अंजाम तक पहुंचाएंगे। गुटका साहिब की कसम खाने के बावजूद आप मुद्दों पर फेल रहे। आप अरुसा के आईएसआई लिंक की जांच को लेकर क्यों चिंतित हैं? उनका वीजा किसने स्पॉन्सर किया, सबकी जांच होगी।
अमरिंदर ने रंधावा को बताया कि 2007 में अरुसा की विस्तृत जांच की गई थी। वह तब सीएम भी नहीं थे। तत्कालीन यूपीए सरकार के आदेश पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने इसकी जांच की और उन्हें वीजा दे दिया। अब आप इस पर समय बर्बाद कर रहे हैं। इसमें जो भी मदद की जरूरत होगी, मैं करूंगा। मैं 16 साल से अरूसा के वीजा को स्पॉन्सर करता हूं। ऐसे वीजा के लिए आवेदन भारतीय उच्चायोग के माध्यम से विदेश मंत्रालय को भेजे जाते हैं। जिसे रॉ और आईबी की मंजूरी के बाद मंजूरी मिलती है। हर बार यही हुआ। अमरिंदर ने इस मुद्दे पर रंधावा को घेर लिया और कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की जांच के लिए कुंवर विजय प्रताप सिंह और रणबीर सिंह खटड़ा को उनकी सिफारिश पर नियुक्त किया गया था।
इस विवाद में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल भी कूद पड़े। उन्होंने कहा कि रंधावा ने साढ़े चार साल तक कुछ नहीं कहा। तब रंधावा अरूसा आलम के साथ लंच और डिनर किया करते थे। जब मैं कुछ कहता तो रंधावा सबसे ज्यादा विरोध करते थे।