न्यूज -जानिए अजय माकन ने क्या -क्या कहा…
1. टेस्टिंग: दिल्ली में प्रतिदिन COVID पॉजिटिव रोगियों की संख्या सबसे अधिक रही है। वहीं, दिल्ली की रिकवरी दर देश में सबसे कम है। पिछले कुछ दिनों से परीक्षण किए जा रहे प्रत्येक चार लोगों में से एक COVID पॉजिटिव मिल रहा है। यह संभवतः देशभर में सबसे अधिक है। इसके बावजूद 8 प्रयोगशालाओं को 'ओवर-टेस्टिंग' के लिए बंद करने के लिए नोटिस दिया गया। इन 8 प्रयोगशालाओं में प्रतिदिन 4000 रोगियों का टेस्ट किया जा रहा था, जिससे अब प्रतिदिन 4000 रोगियों की जांच कम की जाएगी। दिल्ली में 29 मई को 7649 टेस्ट किए गए थे, कल से एक दिन पहले, यह सिर्फ 5180 टेस्ट हुए अब आगे यह और कम हो जाएगा। दिल्ली में COVID पॉजिटिव रोगियों की संख्या को कम करने का क्या यही तरीका है?
2. अस्पताल के बिस्तर: हम इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी निजी अस्पताल को किसी भी मरीज को प्रवेश देने से मना नहीं करना चाहिए। सरकार के पास ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार और शक्ति है। लेकिन इसका उपयोग सरकार की स्वयं की लापरवाही और अक्षमता से ध्यान हटाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। अस्पताल के बिस्तरों के इस मुद्दे पर मैं दिल्ली सरकार द्वारा निम्नलिखित भयावह विसंगतियों को इंगित करना चाहूंगा: –
A) दिल्ली सरकार के दिल्ली में 38 हॉस्पिटल हैं। इसमें से 33 कोविड रोगियों के इलाज से इनकार कर रहे हैं। 38 में से केवल पांच COVID रोगियों के लिए चिह्नित हैं।
B) दिल्ली सरकार एपीपी 7 (स्क्रीन शॉट संलग्न) के रूप में दिखाती है कि दिल्ली सरकार के कोविड के लिए निर्धारित अस्पतालों (4400 में से 3156) के 72% बेड खाली हैं। वहीं कुल निजी अस्पतालों में 40% बेड खाली हैं और गंगा राम अस्पताल में जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, 12% बेड खाली हैं। दिल्ली सरकार के अस्पताल के 28 फीसदी बेड ही क्यों भरे हैं और 88% बेड भरे होने के बाद भी गंगा राम अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों की गई है?
C) केंद्र सरकार भी अपनी ओर से समान रूप से जिम्मेदार है। दिल्ली में केंद्र सरकार के संस्थानों में दिल्ली में लगभग 13,200 अस्पताल हैं। नगर निगम के पास 3500 ऐसे बेड हैं। COVID रोगियों के लिए 16,700 बेड में से केवल 1502 ही बेड क्यों आरक्षित हैं?
3. मृतकों का सम्मान: -दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कोविड मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए पांच दिन इंतजार करना पड़ रहा है। आखिर तैयारी के दौरान GNCTD और MCD क्या कर रहे थे? रोगियों को न केवल टेस्ट के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा है बल्कि अस्पताल में भर्ती के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है, वहीं अगर जान चली जाए तो फिर अंतिम संस्कार के लिए भी पांच दिन इंतज़ार करना पड़ रहा है।
4. ICMR और WHO NORMS का उल्लंघन और मृतकों की टेस्टिंग नहीं: – केवल तीन राज्य तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली रोगसूचक मृतकों का परीक्षण नहीं करते हैं। जबकि यह ट्रेसिंग और टेस्टिंग के लिए आवश्यक है। सिर्फ आंकड़ों को कम रखने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गाइडलाइंस का उल्लंघन ही आंकड़े बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
5. डॉ महेश वर्मा समिति: – COVID को 13 मार्च को महामारी घोषित किया गया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने 2 जून को स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया। समिति ने कल अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में जुलाई के मध्य तक 42,000 बिस्तरों की आवश्यकता का अनुमान लगाया है। साथ ही कहा गया है कि 20% बेड में वेंटिलेटर की संख्या होनी चाहिए। इसका मतलब है कि अब 8637 बेड के साथ हमें 1700 वेंटिलेटर की आवश्यकता है, और जुलाई के मध्य में, हमें 10,500 वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी! हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और निजी अस्पतालों में COVID के लिए केवल 472 वेंटिलेटर रिज़र्व हैं !!
6. कंटेन्मेंट जोन – दिल्ली सरकार ने कंटेन्मेंट जोन की परिभाषा बदल दी है। 29 अप्रैल को जब सिर्फ 3439 COVID पॉजिटिव मरीज थे, दिल्ली में 102 कंटेन्मेंट जोन थे। आज दिल्ली में 27,654 पॉजिटिव केस हैं, लेकिन कंटेन्मेंट जोन 162 हैं! सरकार मानव जीवन को ताक पर रख स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार किये बिना ही राजस्व के लिए सबकुछ खोलना चाहती है।