मिर्जापुर जिले के सिटी ब्लॉक के हनुमान पड़रा के रहने वाले राजबली मौर्य ने अपने दिव्यांग बेटे आर्यन की मांग पर जुगाड़ से साइकिल बनाई है | दिव्यांग आर्यन बेटा घर पर लेटे लेटे बैठे-बैठे अन्य बच्चों को सड़क पर चलते देख परेशान रहता था | अपने पिता से कहता था पापा मैं कैसे चलूं मुझे भी चलना है | बेटे की इसी फरमाइश पर मजदूर पिता को एक दिन आइडिया आया कि छोटे बच्चे जिस तरह से व्हील से चलते हैं, यदि उस तरह से बना दिया जाए तो मेरा भी बच्चा चल सकता है |
दिव्यांग आर्यन के पिता राजबली ने बताया कि हमारे तीन बेटे हैं, जिसमें दूसरा नंबर का बेटा दिव्यांग है चल नहीं पाता है | बेटा जन्म के समय अच्छा था | 5 साल ठीक दिखाई दे रहा था, लेकिन 2009 से बेटा बिल्कुल चलने में असमर्थ हो गया | इधर 2 साल से बेटा लेटे-लेटे बोलता था, पापा मैं कैसे चलू मुझे भी चलना है. बेटे की मांग को देखते हुए हमने अपने बेटे के लिए साइकिल बना दी |मार्केट से सामान लाकर 7 महीने की मेहनत कर साइकिल तैयार कर बेटे को दे दिया हूं | अब वह चल फिर रहा है |
उन्होंने कहा कि मैं मजदूर आदमी हूं काम करके परिवार पालता हूं | मुझे योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही मेरे घर कोई अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसके लिए बताने आया, मजबूरन अपने बेटे के लिए पैसा खर्च करके जुगाड़ से साइकिल बनाया है |
जिला दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी राजेश कुमार सोनकर ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है | उस दिव्यांग बच्चे के लिए ट्राई साइकिल और पेंशन के साथ जो भी सरकारी योजनाएं है उससे लाभान्वित किया जाएगा, क्योंकि बच्चा 18 वर्ष पूरा हो गया है | उस परिवार से सारा आवेदन करा के हर तरह से लाभ दिया जाएगा | लगातार हमारे शिविर लगते हैं, जहां पर लाभार्थी पात्र पाए जाते हैं सभी को हर तरह की सुविधा दी जाती है. इसी तरह से इनको भी दी जाएगी | सरकार शासन की मंशा अनुसार ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कोशिश की जाती है |