न्यूज – राजस्थान की गहलोत सरकार के स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों से टोल टैक्स वापस लेने का फैसला इन दिनों खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्ष सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है।
आज हम आपको इस स्पेशल रिपोर्ट में राज्स्थान के टोल टैक्सों की पुरी कहानी बताएंगे। और साथ ही इस पर हो रही राजनीति बायनबाजी को भी आपसे रूबरू करवायेगें।
राज्य में नगर निकायों के चुनाव होने है ऐसे में बीजेपी गहलोत के इस फैसले को सेल्फ गोल साबित करने में जूट गई है जिससे बीजेपी चाहती है कि उन्हें चुनावों में फायदा हो.. हालाकि इसका फायदा किसको मिलेगा वो तो समय आने पर पता चलेगा लेकिन विपक्ष को जबाव देने के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद मैदान में उतर गये है।
सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल से छूट वापस लेने का निर्णय जनहित को ऊपर रखते हुए लिया है। निकाय चुनाव के बावजूद हमने व्यापक जनहित और राज्यहित को देखते हुए यह फैसला लिया है, क्योंकि राजनीतिक लाभ कभी हमारा उद्देश्य नहीं रहा।
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बिना सोचे-समझे लिए गए इस निर्णय से कानूनी पेचीदगियों के साथ-साथ विभिन्न स्टेट हाईवे पर सड़कों की दुर्दशा होने लगी थी। सड़कों के विकास, मरम्मत एवं रख-रखाव के लिए राज्य सरकार ने यह उचित निर्णय किया है।
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि नगर निकाय चुनाव सामने हैं उसके बावजूद यदि हमने यह फैसला किया है तो आप समझ सकते हैं कि इसकी कितनी आवश्यकता थी और हमने किसी के ऊपर नया टैक्स नहीं लगाया है, वसुंधरा जी ने चुनाव जीतने के लिए जो एकतरफा फैसला किया था हमने उसे समाप्त किया है।
टोल टैक्स को लेकर मीडिया में भी और कुछ हमारे BJP के साथी जिस प्रकार से भ्रम पैदा कर रहे हैं उनको यह नहीं करना चाहिए। चुनाव जीतने के लिए वसुंधरा जी ने बगैर किसी को पूछे सरकार में भी असेंबली के अंदर निजी वाहनों पर टोल टैक्स समाप्त करने की घोषणा कर दी थी, उनको यह नहीं करना चाहिए था।
नगर निकाय चुनाव सामने हैं उसके बावजूद यदि हमने यह फैसला किया है तो आप समझ सकते हैं कि इसकी कितनी आवश्यकता थी और हमने किसी के ऊपर नया टैक्स नहीं लगाया है, वसुंधरा जी ने चुनाव जीतने के लिए जो एकतरफा फैसला किया था हमने उसे समाप्त किया है।
आम जनता चाहती है कि चुनाव जीतने के नाम पर फैसले नहीं हों, आम जनता चाहती है कि सही बात आप सही समय पर कहो…
वही आरएलपी प्रमुख और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट कर सीएम गहलोत को जबाव दिया। बेनीवाल ने कहा किमुख्यमंत्री के लिए "फ़ायदा" और "ज़रूरी" शब्द केवल बेटे के परिप्रेक्ष्य में हैं बाक़ी एक आम आदमी भी बता सकता हैं की चुनाव से ऐन वक्त पहले कोई भी आर्थिक भार जनता पर चुनाव के लिहाज़ से कितना घातक हैं।उन्होनें ट्वीट के अंत में हैगटैज#विनाश_काले_विपरीत_बुद्धि और हैगटैज #टोल_झोल
पुर्व सीएम वंसुधरा राजे ने गहलात सरकार के इस फैसले को जनता को आहत देने वाला बताया था। राजे ने कहा था कि जनता की मांग पर भाजपा सरकार ने स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल फ्री किया था। अब कांग्रेस सरकार उस फैसले को बदलकर वापस टोल वसूली शुरू करने वाली है। ये ही अंतर है कांग्रेस व भाजपा में। हम जनता को राहत देने का काम करते हैं, वो आहत करने का काम करते हैं।
अब हम आपको बताते है इस फैसले का असल क्या होगा।
राजस्थान में स्टेट हाइवे की लंबाई 15543 है, इन पर 143 जगह टोल देना पडता है। इन सडको से रोजाना करीब 2.5 लाख वाहन रोज गुजरते है, वसुंधरा सरकार के फैसले के बाद 1 अप्रैल 2018 से निजी वाहनों को टोल नही देना पडता था।
लेकिन अब गहलोत सरकार के इस फैसले से सरकार को 300 करोड़ का आमदनी होगी। सरकार ने ये फैसला लागू करने के लिए सरकार और टोल ठेकेदार को घाटा होने का हवाला दिया है।
सरकार का कहना है कि राज्य में 143 स्टेट हाइवे पर टोल संचालित है टोल फ्री होने से राज्य सरकार व टोल ठेकेदारों को घाटा हो रहा है। इसके अलावा राज्य में इस बार भारी बारिश से प्रदेश की 30-35 फीसदी सडकें टूट गई है। इनकी रिपेयरिंग के लिए भी सरकार के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। ऐसे में सरकार स्टेट हाइवे पर टोल लगाकर कुछ रकम हासिल करना चाहती है। टोल वसुली का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी व आरएसआरसीडी का है।