देश के प्रति जो हमारी भक्ति है वो आज से नहीं महाभारत-रामायण काल से है। स्वर्ग से भी मेरी मातृभूमि पूजनीय दिखती है। देश प्रेम होना चाहिए.... और ये दिखता भी है... लोगों के जेहन में अच्छे-बुरे सब तरह के विचार उपजने चाहिए.... लेकिन आक्रमक होना गलत है। ये बात जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हिस्सा लेने आए राइटर मकरंद आर. परांजपे का... दरबार हॉल में आयोजित सेशन नेशनहुड, 'पेट्रोटिज्म एंड देशभक्ति' में मकरंद ने अपनी बुक ‘जेएनयू’ पर विचार व्यक्त किए। गौरतलब है कि मकरंद जेएनयू, नई दिल्ली में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे हैं। उन्होंने भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक के रूप में कार्य किया और 50 से अधिक पुस्तकों, 180 अकादमिक पत्रों और हजारों लेखों के लेखक और संपादक हैं।