सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कुरान और भारत को लेकर ये क्या कह दिया ?

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश के नेशनल टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में कई अहम मुद्दों पर बात की है, इसमें उन्होंने भारत का भी नाम लिया और भारत से अच्छे संबंधों की वकालत की।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कुरान और भारत को लेकर ये क्या कह दिया ?
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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कुरान और भारत को लेकर ये क्या कह दिया ? :

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश के नेशनल टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में कई अहम मुद्दों पर बात की है,

इसमें उन्होंने भारत का भी नाम लिया और भारत से अच्छे संबंधों की वकालत की।

सऊदी अरब में इनकम टैक्स लागू करने की कोई योजना नहीं है

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कुरान और भारत को लेकर ये क्या कह दिया ? :

कोराना महामारी के कारण तेल से हासिल होने वाले राजस्व पर निर्भर सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

ऐसे में कहा जा रहा था कि अब तक सऊदी अरब इनकम टैक्स नहीं लगाता था लेकिन आने वाले दिनों में लगा सकता है।

लेकिन क्राउन प्रिंस ने इन अटकलों को ख़ारिज कर दिया है।

प्रिंस सलमान ने इंटरव्यू में कहा कि सऊदी अरब में इनकम टैक्स लागू करने की कोई योजना नहीं है,

पिछले साल जुलाई महीने में सऊदी अरब ने अस्थायी रूप से वैट को पाँच फ़ीसदी से बढ़ाकर 15 फ़ीसदी कर दिया था।

सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के एक फ़ीसदी शेयर को बेचने की बात चल रही है

क्राउन प्रिंस ने ये भी कहा कि सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के एक फ़ीसदी शेयर को बेचने की बात चल रही है,

पिछले महीने क्राउन प्रिंस ने घोषणा की थी कि पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर पार्टनरशिप प्रोगाम को मज़बूती देने के लिए

सऊदी अरब अगले 10 सालों में इतना ख़र्च करेगा कि पिछले 300 सालों में नहीं हुआ है।

क्राउन प्रिंस ने सऊदी विज़न 2030 लॉन्च किया था और इसके पाँच साल पूरे होने पर ही यह इंटरव्यू दिया है।

क्राउन प्रिंस ने संविधान को लेकर कहा कि क़ुरान ही संविधान है

उन्होंने कहा, "मैंने पहले ही कहा था कि हमारा संविधान क़ुरान है और अब भी है. और ये आगे भी रहेगा,

हमेशा के लिए. शासन की बुनियादी व्यवस्था में भी यह दिखता है,

चाहे सरकार हो या विधायिका के रूप में शुरा काउंसिल या फिर शाह; तीनों ही क़ुरान का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

लेकिन सामाजिक और निजी मामलों में हम उन शर्तों को ही लागू करते हैं जिनके बारे में क़ुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है. हम बिना स्पष्ट व्याख्या के शरीयत के अनुसार सज़ा नहीं दे सकते."

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