दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, दूसरी ओर काशी के कायाकल्प का काम बंद नहीं हुआ है। यहां 650 श्रमिक दो शिफ्टों में दिन-रात काम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल अगस्त तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। काशी विश्वनाथ का रूप अब धीरे-धीरे आकार ले रहा है। मंदिर चौक का कार्य प्रगति पर है। खूबसूरती से नक्काशीदार गुलाबी पत्थर उभर रहे हैं। धाम क्षेत्र की इमारतों की दीवारों पर अब बालेश्वर के पत्थर सजने लगे हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है।
यहां मणिमाला के मंदिरों के ऐतिहासिक दस्तावेज भी दुनिया के सामने पेश करने के लिए तैयारी हैं।
इन दस्तावेजों को तैयार करने के लिए, पुरातत्व विभाग भोपाल की मंदिर सर्वेक्षण की तीन-सदस्यीय टीम ने काम शुरू किया।
परियोजना में पाए गए प्राचीन मंदिरों के इतिहास के अलावा,
मंदिरों के निर्माण से संबंधित उनकी प्राचीनता, विशेषता और जानकारी एकत्र की जा रही है।
काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए खरीदी गई 300 इमारतों में 60 से अधिक छोटे और बड़े मंदिर पाए गए हैं।
टिन की ऊंची दीवारों के अंदर भारी-भरकम सुरक्षा के बीच कारीगर, इंजीनियर और मजदूर 5.3 लाख वर्गफुट में धाम को आकार देने में
लगे हैं। मंदिर परिसर से लेकर गंगा घाट तक 24 इमारतें बनाई जाएंगी।
इसमें से 19 इमारतों पर काम चल रहा है।
इसमें मंदिर परिसर, मंदिर चौक, जलपान केंद्र, गेस्ट हाउस,
यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, मुमुक्षु भवन
अस्पताल का निर्माण शुरू हो चुका है।
मंदिर के चौकोर भाग को C आकार में बनाया जाएगा। देवी गंगा को यहां से सीधे देखा जा सकता है। अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण 345.27 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। अगस्त 2021 तक परियोजना पूरी हो जाएगी।
भूकंप और भूस्खलन की स्थिति में भी मुख्य मंदिर परिसर की दीवार की मजबूती बनाए रखने के लिए पीतल की प्लेटों का उपयोग किया जा रहा है। वी आकार की छह इंच चौड़ी और 18 इंच लंबी 600 ग्राम वजन की पीतल की प्लेटों को पत्थरों से जोड़ने के लिए 12 इंच की गुल्ली लगाई जा रही है। गुल्ली का वजन भी 400 ग्राम के आसपास है।
विशेष प्रकार के केमिकल लेपाक्स अल्ट्राफिक्स का इस्तेमाल पीतल और पत्थरों के बीच खाली जगह को भरने के लिए किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण होने के बाद 2 लाख लोग आसानी से आ सकेंगे। जहां पहले श्रद्धालुओं के खड़े होने के लिए 5,000 वर्गफीट की जगह भी नहीं थी। वहीं, इसके बनने के बाद दो लाख श्रद्धालु एकसाथ आ सकेंगे।
गलियारे की शुरुआत काशी के मणिकर्णिका और ललिता घाट से होगी, 5.3 लाख वर्ग फीट में तैयार होने वाले इस क्षेत्र में हरियाली के लिए 70% जगह रखी जाएगी। धाम में घाट किनारे से आने के लिए ललिता घाट पर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। इसके अलावा सरस्वती फाटक, नीलकंठ और ढुंढिराज गेट से भी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया जा सकेगा। मंदिर परिसर में गर्भगृह से लगा हुआ बैकुंठ मंदिर, दंडपाणि के साथ तारकेश्वर और रानी भवानी मंदिर रहेगा
इसके अलावा, गर्भगृह से सटे बाकी देवताओं को परिसर के पास बनाया जाएगा। परिसर में 34 फीट की ऊँचाई वाले चार द्वार होंगे। पूरे परिसर में मकराना और चुनार के पत्थर लगेंगे। परिसर लाइट से जगमगाएगा। यहां धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व के पेड़ भी होंगे। कॉरिडोर के बाहरी हिस्से में जलासेन टैरेस बनाई जाएगी। इस टैरेस पर खड़े होकर गंगा जी के साथ ही मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट को भी निहारा जा सकेगा।