डेस्क न्यूज – NEPAL की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के दो बड़े नेता NEPAL के प्रधानमंत्री के पी ओली और पुष्पा कमल दहल के बीच लगातार उभरते मतभेदों के कारण केपी ओली की सरकार संकट में लेकिन केपी ओली ने यह आरोप भारत पर लगाया है। NEPAL के प्रधानमंत्री ओली ने भारत पर आरोप लगाया कि उनके प्रतिद्वंद्वियों को भारत उकसा रहा है।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा "नेपाल ने उसके नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियादोरा क्षेत्रों को शामिल करने के संविधान संशोधन के फैसले के बाद दिल्ली में लगातार बैठकें आयोजित हो रही है, यह अकल्पनीय है संविधान के संशोधन के खिलाफ दिल्ली.. में ही जो चीजें हो रही हैं यह केपी ओली की सरकार को उखाड़ फेंकने की एक कथित साजिश है"
ओली के अनुसार, उनकी सरकार को संसदीय बहुमत प्राप्त है और इसके निष्कासन की योजना विफल हो जाएगी। उन्होंने दिवंगत कम्युनिस्ट नेता मदन भंडारी की 69 वीं जयंती के अवसर पर अपने आधिकारिक निवास पर एक सभा को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
ओली ने कहा, "आप सभी जानते होंगे कि नेपाल का राष्ट्रवाद इतना कमजोर नहीं है कि बाहर की ताकतें उसे पछाड़ सकें…"
NEPAL ने हाल ही में एक संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें देश के नए मानचित्र में भारत से लगते तीन नये क्षेत्रों को शामिल किया गया। इस प्रकार भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद गहरा गया है,
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर लगातार उभरते मतभेदों के संदर्भ में प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा कि उन्हें हमेशा के लिए पद पर बने रहने की कोई इच्छा नहीं है, उन्होंने कहा इस समय उनके पद छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता , अगर मैंने पद छोड़ दिया तो राष्ट्रवाद और क्षेत्र के मुद्दे को उठाने के लिए कोई नेता नहीं होगा।
हालांकि नए नक्शे के मुद्दे पर न केवल भारत के साथ तनाव पैदा किया बल्कि कम्युनिस्ट पार्टी में आंतरिक आलोचना भी हुई, एक रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के स्थाई समिति की बैठक में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के सहयोगियों ने पीएम के केपी ओली की आलोचना की,
नई दिल्ली और काठमांडू के बीच संबंधों में हालिया तनाव को नेपाल को देश के एक नए नक्शे को संवैधानिक दर्जा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जिसमें भारत के उत्तराखंड राज्य में विवादित लिम्पियादोरा-कालापानी-लिपुलेख क्षेत्र शामिल है।
नेपाल के संसद के निचले सदन ने सर्वसम्मति से दूसरा संविधान संशोधन 13 जून को पारित किया। इस विधेयक पर नेपाल की राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी ने 18 जून को हस्ताक्षर किए थे।
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