पश्चिम बंगाल के कोलकाता के नगर निगम के हुए चुनाव के वोटों की गिनती जारी है , अभी तक के रुझानों में ममता बनर्जी की पार्टी भरी बहुमत से बढ़त बनाये हुए है। तृणमूल कांग्रेस 144 वार्डों में से 135 सीट पर जीतती दिख रही है। बीजेपी तो सिर्फ 5 सीटें ही जीत सकी। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का तो और भी बुरा हाल है। दोनों को एक एक सीट से ही संतोष करना पड़ सकता है।
विधानसभा चुनाव के बाद कोलकाता नगर निगम चुनाव में जीत के साथ ममता बनर्जी बंगाल में और मजबूत होकर उभरी हैं और विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपने विस्तार में जुटी टीएमसी अब इस जीत के बाद और भी आक्रामक होकर उभरेगी। आइए आपको बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी की इस जीत के क्या मायने हैं।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी की बंपर जीत का सीधा सा मतलब है कि ममता बनर्जी की पकड़ राज्य पर मजबूत है। इस बार भी कोलकाता नगर निगम में टीएमसी का ही बोर्ड बनेगा। 2015 में भी बोर्ड पर टीएमसी ही काबिज थी। इस बार भी टीएमसी उसी आंकड़े को छूती नजर आ रही है। इसका मतलब है कि पश्चिम बंगाल के लोगों ने दीदी के काम को पसंद किया है और उन्हें फिर से जीत दिलाई है।
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में टीएमसी की जीत के बाद ममता बनर्जी अब मोदी के खिलाफ सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरी थीं. उन्होंने इस विधानसभा चुनाव में सभी को अकेले दम पर हरा दिया है। ममता के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, योगी आदित्यनाथ जैसे तमाम बड़े चेहरों ने प्रचार किया. सभी ने उन पर जमकर हमला बोला था लेकिन दीदी ने हार नहीं मानी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि दीदी ने इस चुनावी मैदान में अपने दम पर सबको हरा दिया था |अब टीएमसी कोलकाता नगर निगम चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर मिली जीत को भुनाएगी।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी कोलकाता नगर निगम चुनाव जीतने के बाद अगले विधानसभा चुनाव में और आक्रामक होगी। टीएमसी पहले ही गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है और लगातार कांग्रेस और बीजेपी पर हमले कर रही है टीएमसी में कांग्रेस नेताओं को शामिल किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी ने सपा के अखिलेश सिंह यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसके साथ ही टीएमसी त्रिपुरा और मेघालय में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।