हिंदुत्व के खिलाफ पोस्टर वॉर , JNU कैंपस से उठी बाबरी मस्जिद को दुबारा बनाने की मांग

JNU में 5 दिसंबर को युनिवर्सिटी प्रशासन की चेतावनी के बाद भी वहां छात्रों ने न सिर्फ राम मंदिर आंदोलन पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'राम के नाम ' का प्रदर्शन किया बल्कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निमाण की मांग रखी। इतना ही नहीं हिंदुत्व के खिलाफ भी जम कर नारेबाजी और पोस्टर वॉर किया गया
JNU student union protesting againest hindutva
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LEFT STUDENT PROTEST JNU CAMPUS
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JNU में 5 दिसंबर को युनिवर्सिटी प्रशासन की चेतावनी के बाद भी वहां छात्रों ने न सिर्फ राम मंदिर आंदोलन पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'राम के नाम ' का प्रदर्शन किया बल्कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निमाण की मांग रखी। इतना ही नहीं हिंदुत्व के खिलाफ भी जम कर नारेबाजी और पोस्टर वॉर किया गया

लेफ्ट से जुड़ी गतिविधियों का केंद्र माना जाता है जेएनयू

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विवादित ढ़ांचा गिरा दिया गया था। इस घटना के 29 साल बाद जेएनयू परिसर में छात्र संघ ने इस घटना के विरोध में एक विरोध मार्च निकाला। जिसमें कहा गया था कि बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण किया जाए। दरअसल, इस विरोध का आह्वान जेएनयूएसयू ने रात 8:30 बजे किया था। जेएनयू परिसर के गंगा ढाबे पर रात साढ़े आठ बजे बड़ी संख्या में छात्र जमा हुए और यहां से चंद्रभागा छात्रावास तक विरोध मार्च निकाला गया।

6 दिसंबर को एक बार फिर चंद्रभागा छात्रावास के दरवाजे पर वाम समर्थक छात्रों ने एक नया विवाद शुरू कर दिया है। यह प्रदर्शन छात्रावास तक पहुंच गया, जिसके बाद छात्रसंघ के नेताओं ने अपनी बात रखी। इस दौरान जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने अपने भाषण में कहा कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण से न्याय होगा. इस दौरान छात्र संघ ने कई नारे भी लगाए।

JNU student union proteting againest hindutva
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screening of raam ke naam by jnu student union
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'राम के नाम ' के पीछे क्या हैं एजेंडे का काम ?

आनंद पटवर्धन के द्वारा 1991 में बनाई गयी फिल्म राम मंदिर आंदोलन पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री है। इस वीडियो में अयोध्या में 1991 के वक्त राम मंदिर आंदोलन से जुड़े घटनाक्रम दिखाए गए हैं।

क्या कहा छात्र संघ के पदाधिकारियों ने स्क्रीनिंग के बाद

छात्र संघ अध्यक्ष इशी घोष और उपाध्यक्ष साकेत मून ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के बाद वर्षों से चली आ रही उन्ही बातों को रिपीट किया जो लेफ्ट विचारधारा से जुड़े लोग हमेशा से कहते आ रहे हैं। उन्होंने दादरी और हाशिमपुरा का भी जिक्र किया। तीनो घटनाओं को जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सेकुलरिज्म खतरे में हैं और लगातार अप्ल्संख्यकों के साथ नाइंसाफी हो रही है।

साकेत मून ने कहा कि केंद्र में काबिज़ बीजेपी पार्टी के पास जब सिर्फ दो सीटें थी तब उन्होंने राम मंदिर आंदोलन शुरू किया और इससे उन्हें फायदा मिला जिसके बाद उनकी लोकसभा में 85 सीटें हो गयी। लेकिन बीजेपी ने कभी परवाह नहीं की कि इससे साम्प्रदायिकता बढ़ेगी।

JNU student union president aishi ghosh and vice president saket moon
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मथुरा काशी का नाम लेकर क्या बोली छात्र संघ अध्यक्ष

जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी की छात्र संघ अध्यक्ष इशी घोस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये लोग ( बीजेपी ) वाले राम मंदिर का काम शुरू होते ही अब काशी और मथुरा की बात करने लगे हैं इनका सांप्रदायिक एजेंडा ऐसे ही एक के बाद एक मस्जिदों को लेकर जारी रहेगा। आज हम JNUSU की ओर से बस बाबरी के ढहाए जाने की घटना के 29 बरस होने पर याद करने की है। हमारी मंशा किसी भी तरह से राजनैतिक नहीं है।

मीडिया में आए एक वीडियो में जेएनयू के छात्रसंघ उपाध्यक्ष साकेत मून बोलते हुए नजर आ रहे हैं

" एक स्लोगन दिया गया था , नहीं सहेंगे हाशिमपुरा नहीं सहेंगे दादरी। फिर बनाओ फिर बनाओ फिर बनाओ बाबरी। तो जिस तरह से इसमें जिन भी जगहों का मेंशन किया गया है , चाहे दादरी हो या हाशिमपुरा हो यहां पे एक सांप्रदायिक तरीके से एंटी मुस्लिम वाइलेंस हुआ है और बाबरी में भी जगह तक कि एक इनजस्टिस हुआ है और इसका यही मतलब है कि जो इनजस्टिस हुआ है उसे सही किया जाये और इसको सही करने का एक जो तरीका होगा वो ये है कि बाबरी मस्जिद बनाया जाये। जब मौजूदा सरकार नहीं थी , जब ये विपक्ष में थी तब इन्होने बाबरी मस्जिद के खिलाफ एक आंदोलन चलाया और उससे इस देश में साम्प्रदायिकता बढ़ी और किस तरह से हालात खराब हुए हम सब को पता है। 2 से फिर 85 सीट उनके हुए और इस बात का फिक्र नहीं किया उन्होंने तब सांप्रदायिक स्थिति बढ़ेगी। हम भी नहीं चाहते कि लॉ एंड आर्डर खराब हो। हम नहीं कह रहे हैं कि हम जा के बनाएंगे , हम नहीं कह रहे हैं कि हम जा कर कुछ तोड़ेंगे हम चाहते हैं कि ये काम जो हैं न्यायिक प्रक्रिया से हो सरकार की तरफ से हो , एक लीगल तरीके से हो हम कही नहीं कह रहे कि कोई इलीगल तरीका हो।

पहले भी होते रहे हैं विवादित कार्यक्रम
आरोप है कि जेएनयू में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह - इंशा अल्लाह " के नारे लगे थे उस वक्त जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष आज के कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार थे। उनके साथ साथ उमर खालिद को उस वक्त आरोपी बनाया गया था। ये मामला पूरे देश भर में चर्चा का विषय बन गया था।
मां दुर्गा का अपमान
जेएनयू मे महिषासुर दिवस मनाने और हिंदू देवी देवताओं पर अभद्र टिप्पणी के आरोप भी लग चुके हैं,बीजेपी नेता स्मृति इरानी ने इस मामले को संसद भी उठाया था।
JNU STUDENT UNION PROTEST  IN SUPPORT OF BABRI MASJID
JNU STUDENT UNION PROTEST IN SUPPORT OF BABRI MASJID SOURCE:FACEBOOK

जेएनयू कैंपस में कई एक्टिविटी रही विवादों में

जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी में नक्सलवाद के समर्थन के आरोप भी लगते रहे हैं । जब छतीशगढ में 76 जवान नक्सलवादियों के किये गए कायरतापूर्ण हमले में शहीद हो गए थे। तब तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने यहां जश्न मनाने पर रोष प्रकट किया था ।

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