सोशल मीडिया को इंडियन पॉलिटिक्स में प्रचार का मजबूत तंत्र बनाने वाले PK ने क्यों किए मात्र 52 ट्वीट?

जिस शख्स ने सोशल मीडिया को भारतीय राजनीति का एक मजबूत प्रचार तंत्र बनाया है, लेकिन उन्होंने 18 अप्रैल 2022 तक ट्विटर पर केवल 52 ट्वीट किए है। वह न तो टीवी देखते है और न ही अखबार पढ़ते है, लैपटॉप को खोले हुए कई साल हो चुके है।
जिस शख्स ने सोशल मीडिया को भारतीय राजनीति का एक मजबूत प्रचार तंत्र बनाया है, लेकिन उसने 18 अप्रैल 2022 तक ट्विटर पर केवल 52 ट्वीट किए है। वह न तो टीवी देखते है और न ही अखबार पढ़ते है
जिस शख्स ने सोशल मीडिया को भारतीय राजनीति का एक मजबूत प्रचार तंत्र बनाया है, लेकिन उसने 18 अप्रैल 2022 तक ट्विटर पर केवल 52 ट्वीट किए है। वह न तो टीवी देखते है और न ही अखबार पढ़ते है तस्वीर- The New Indian Express

करीब एक दशक से देश की राजनीति की प्रचार व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने वाले प्रशांत किशोर (PK) पार्टियों के लिए रणनीति बनाते हैं, लेकिन अपने लिए अलग रणनीति पर चलते नजर आ रहे है। जिस शख्स ने सोशल मीडिया को भारतीय राजनीति का एक मजबूत प्रचार तंत्र बनाया है।

उन्होंने 18 अप्रैल 2022 तक ट्विटर पर केवल 52 ट्वीट किए है। जिस व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि वह संचार के हर माध्यम में किसी भी नेता और पार्टी के लिए एक मजबूत जगह बना पाने में सक्षम है। यहां तक ​​कि पार्टियों ने भी फॉलो करने वालों की संख्या को देखकर टिकट देना शुरू कर दिया है‚ लेकिन वह अपने सभी इंटरव्यू में कहते हैं कि वह न तो टीवी देखते हैं और न ही अखबार पढ़ते हैं, लैपटॉप को खोले हुए कई साल हो चुके हैं, केवल मोबाइल पर काम करते हैं।

अपने सभी इंटरव्यू में कहते है कि वह न तो टीवी देखते है और न ही अखबार पढ़ते है, लैपटॉप को खोले हुए कई साल हो चुके है, केवल मोबाइल पर काम करते है।
अपने सभी इंटरव्यू में कहते है कि वह न तो टीवी देखते है और न ही अखबार पढ़ते है, लैपटॉप को खोले हुए कई साल हो चुके है, केवल मोबाइल पर काम करते है।तस्वीर- ThePrint

बिहार के रोहतास जिले से निकलकर बक्सर में पढ़ाई और फिर हैदराबाद से इंजीनियरिंग करने वाले प्रशांत संयुक्त राष्ट्र के एक स्वास्थ्य कार्यक्रम में कार्यरत थे। यूएन के लिए ही बिहार में काम किया और फिर अमेरिका चले गए। इसके बाद दिसंबर 2011 में प्रशांत किशोर (PK) गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए और कहा जाता है कि कुछ ही महीनों में वह उनके सबसे भरोसेमंद रणनीतिकार बन गए।

वे मुख्यमंत्री कार्यालय से दूर काम करते थे और सीधे मोदी को रिपोर्ट करते थे। 'वाइब्रेंट गुजरात' कैंपेन शुरू करने के पीछे प्रशांत को ही माना जाता है। इसके बाद मोदी तीसरी बार गुजरात के सीएम बने।

मुख्यमंत्री कार्यालय से दूर काम करते थे और सीधे मोदी को रिपोर्ट करते थे। 'वाइब्रेंट गुजरात' कैंपेन शुरू करने के पीछे प्रशांत को भी माना जाता है. इसके बाद मोदी तीसरी बार गुजरात के सीएम बने।
मुख्यमंत्री कार्यालय से दूर काम करते थे और सीधे मोदी को रिपोर्ट करते थे। 'वाइब्रेंट गुजरात' कैंपेन शुरू करने के पीछे प्रशांत को भी माना जाता है. इसके बाद मोदी तीसरी बार गुजरात के सीएम बने।तस्वीर- Telegraph India

'मेरे पिता ने मुझे बचपन में, लोगों में अच्छाई देखने के लिए एक बात सिखाई थी। उनका कहना था कि इंसान ने अगर कुछ पाया है तो उसमें कुछ न कुछ खूबी जरूर होगी। जब आप उनसे मिलें, तो देखें कि उनका गुण क्या है।' यह बात प्रशांत किशोर ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कही।

प्रशांत किशोर ने अपने पिता की यही बात मानते हुए 2011 में नरेंद्र मोदी के साथ काम करना शुरू किया। साथ ही बिहार से नीतीश कुमार, यूपी कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में वाईएस जगनमोहन रेड्डी, तमिलनाडु में स्टालिन,पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए काम कर चुके हैं। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ भी काम किया। चर्चा है कि वह साल 2024 में कांग्रेस के लिए काम कर सकते हैं या फिर पार्टी में ही शामिल हो सकते हैं।

2021 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में जीत के बाद प्रशांत किशोर ने एक टीवी चैनल से कहा, 'मैं पोल ​​रणनीतिकार की अपनी नौकरी छोड़ रहा हूं। मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, मैं उसे जारी नहीं रखना चाहता, मैंने काफी किया है। अब मैं कुछ समय का ब्रेक लूंगा और फिर सोचूंगा कि जीवन में क्या करना है। मैं यह स्थान छोड़ना चाहता हूं।'

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को सुझाव दिया है कि वह यूपी, बिहार और ओडिशा में अकेले चुनावी मैदान में जाएं। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में गठबंधन करें। उन्होंने एक प्रेजेंटेशन में पार्टी की ताकत और कमजोरी दोनों को बताया और यह भी बताया कि इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।

प्रशांत किशोर ने एसोसिएशन ऑफ सिटीजन्स फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) का गठन किया। उन्होंने वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। युवा पेशेवरों ने मोदी अभियान की बागडोर संभाली और डेटा एकत्र कर शोध किया। सोशल मीडिया पोल बनाए, फिर अभियान का प्रबंधन किया। इस टीम ने चाय पे चर्चा, अच्छे दिन आने वाले हैं‚ रन फॉर यूनिटी, 3डी कैंपेन, ये सभी कैंपेन डिजाइन किए थे।

हालांकि 2014 के चुनाव के बाद प्रशांत किशोर ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और बिहार में नीतीश कुमार के साथ जुड़ गए। उन्होंने CAG स्पेशियलिस्ट पॉलिसी आउटफिट को इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) में बदल दिया। इस चुनाव में प्रशांत ने महागठबंधन बनाया और न सिर्फ जदयू-राजद को साथ लाने में कामयाब हुए बल्कि उन्हें जीत भी दिलाई। इसके बाद नीतीश ने उन्हें अपना सलाहकार भी बना लिया था। हालांकि बाद में उन्होंने उससे भी नाता तोड़ लिया।

2017 में अमरिंदर सिंह को बनाया कैप्टन

साल 2017 में प्रशांत किशोर ने पंजाब कांग्रेस के लिए काम किया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें जिम्मेदारी दी और वे इसमें सफल रहे। कैप्टन ने इस जीत के लिए प्रशांत किशोर के काम की सराहना की थी।

वर्ष 2017 यूपी उपचुनाव

इस चुनाव में यूपी कांग्रेस ने प्रशांत किशोर की सेवा ली थी। शीला दीक्षित को सीएम चेहरा बनाया गया था। खाट पंचायत बुलाई गई, पूर्वी यूपी से एक यात्रा शुरू की गई। लेकिन, इन सबने एक जैसा काम नहीं किया और कांग्रेस जीत नहीं पाई।

वर्ष 2019 आंध्र प्रदेश चुनाव

इस चुनाव में प्रशांत किशोर ने वाईएस जगनमोहन रेड्डी के लिए काम किया था। इसमें प्रजा संकल्प यात्रा, समर शंखरवम जैसे अभियान प्रभावित हुए और जगन मोहन इस चुनाव को जीतने में सफल रहे। 175 सीटों में से जगन ने 151 सीटों पर जीत हासिल की थी।

2020 दिल्ली चुनाव

इस चुनाव में प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल की आप के लिए काम किया। इसमें आम आदमी पार्टी की जीत हुई, उसे 70 में से 62 सीटें मिली।

2021 पश्चिम बंगाल और तमिल नाडु विधानसभा चुनाव

पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु चुनाव में ममता और स्टालिन ने प्रशांत किशोर को ही जिम्मेदारी सौंपी की और प्रशांत ने दोनों को बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये दोनों चुनाव काफी महत्वपूर्ण थे और प्रशांत इसमें सफल रहे।

जिस शख्स ने सोशल मीडिया को भारतीय राजनीति का एक मजबूत प्रचार तंत्र बनाया है, लेकिन उसने 18 अप्रैल 2022 तक ट्विटर पर केवल 52 ट्वीट किए है। वह न तो टीवी देखते है और न ही अखबार पढ़ते है
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