UTTARAKAND ELECTION 2022: उत्तराखंड चुनाव में पहली बार AAP की एंट्री,हो सकते है रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबले

कल उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री से समीकरण बदल गये है। बहुत सी सीटों पर मुकाबले रोमांचक होने वाले है। इसमें से ही कई सीटें भविष्य में सत्तापक्ष का निर्णय करेगी।
AAP ने जारी की उत्तरप्रदेश उमीदवारों एक और लिस्ट जारी, सुनील कुमार श्रीवास्तव को उतारा अयोध्या से मैदान में

AAP ने जारी की उत्तरप्रदेश उमीदवारों एक और लिस्ट जारी, सुनील कुमार श्रीवास्तव को उतारा अयोध्या से मैदान में

Photo: PTI

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम चुका है,कल मतदान होना है। उत्तराखंड में 70 सीटों पर राज्य की जनता कल अपना निर्णय देगी। प्रत्येक सीट पर अलग लड़ाई है और समीकरण भी भिन्न है।

इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदानी में उतरने से मुकाबले त्रिकोणीय हो गए है। पार्टी ने सीएम चेहरा भी ऐसा उतारा है जो कि पहाड़ी राज्य में कई बार हार-जीत का अंतर तय करता है। अब की बार ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार उत्तराखंड चुनाव में कई सीटों पर महामुकाबला देखने को मिल सकता है।

नैनीताल जिले की लालकुंआ सीट पर इस बार सबसे जोरदार मुकाबला देखने को मिल सकता है। एक तरफ मैदान में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे पूर्व सीएम हरीश रावत है तो वहीं उन्हें टक्कर दे रहे बीजेपी जिला पंचायत सदस्य मोहन बिष्ट है। इस बार एक निर्दलीय भी यहां से चुनावी मैदान उतरा है और कांग्रेस पूर्व उम्मीदवार संध्या डालाकोटी लालकुंआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही है।

पहले इस सीट से कांग्रेस ने उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन फिर जब रामनगर सीट पर हरीश रावत की उम्मीदवारी पर सवाल उठने लगे तो 24 घंटे के अंदर उन्हें लालकुंआ सीट पर शिफ्ट कर दिया गया और अब संध्या लोगों का आशीर्वाद लेने के लिए निर्दलीय मैदान में उतर गई है।

उत्तराखंड की राजनीति में जब भी मिथक की बात की जाती तो जहन में सबसे पहले गंगोत्री विधानसभा सीट का नाम आता है। उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री सीट पर हमेशा मुकाबला कड़ा ही रहता है, इसके अलावा एक ऐसा मिथक भी है कि यहां से जो भी चुनाव जीत जाता है तो उसकी सरकार बनना तय रहता है। यह वह मिथक है जो आज से नहीं बल्कि पूरे 60 साल से चलता आ रहा है इसी वजह से इस बार गंगोत्री सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।

यहां आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल जिनका चुनाव लड़ना कांग्रेस और बीजेपी को चिंता में डाल सकता है। वे पहली बार चुनाव जरूर लड़ रहे है, लेकिन उनका आर्मी बैकग्राउंड उन्हें 'फौजी वोटर' के बीच लोकप्रिय बनाता है।बीजेपी ने इस बार पार्टी एक नए चेहरे पर दांव चला है, बीजेपी ने इस सीट से सुरेश चौहान को मैदान में उतारा है और जबकि कांग्रेस ने पांचवी बार विजयपाल सजवाण पर अपना भरोसा जताया है।

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पौड़ी गढ़वाल जिले की ग्रामीण सीट चौबट्टाखाल हमेशा से बीजेपी का गढ़ रही है। 2002 से 2017 के बीच हुए चार चुनावों में से तीन बार बीजेपी उम्मीदवार ने यहां से जीत हासिल की है। एक बार निर्दलीय ने भी चुनाव जीता है लेकिन कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया है। इस बार चौबट्टाखाल सीट से बीजेपी ने दिग्गज नेता और राज्य सरकार में मंत्री सतपाल महाराज को अपना उम्मीदवार बना दिया है।

2017 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने यहां से जीत दर्ज की थी इस बार उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अपने प्रदेश उपाध्यक्ष केसर सिंह नेगी को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष दिग्मोहन नेगी पर अपना भरोसा जता है। आगामी चुनाव में भी 9 प्रत्याशी यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे है।

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उत्तराखंड की सबसे हाई प्रोफाइल सीट खटीमा मानी जा रही है। उधम सिंह नगर जिले में पड़ने वाली ये सीट इस बार सभी की नजर में रहने वाली है। यहां से सीएम और बीजेपी उम्मीदवार पुष्कर सिंह धामी चुनावी मैदान में है। दो बार पहले भी यहां से चुनाव जीत चुके है। इस बार उनके सामने उस मिथक को तोड़ने की भी चुनौती है जहां पर कहा जाता है कि कोई भी सिटिंग सीएम अपनी कुर्सी नहीं बचा पाता है लेकिन इस बार देखना होगा कि पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट बचा पाते है या नहीं, उन्हें अपने विकास कार्यों पर पूरा भरोसा है।

इस विधानसभा क्षेत्र में महाराणा प्रताप के वंशज माने जाने वाले राणा-थारू परिवारों के साथ ही पिथौरागढ़, मुन्स्यारी, लोहाघाट, चंपावत इलाके से आए पर्वतीय र्वतीय लोग भी निवास करते है। यहां अच्छी तादाद में देश विभाजन के समय आए सिख परिवारों और मुस्लिमों भी है।

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