उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अब की बार दोनों ही दलों ने परिवारों को खूब महत्व दिया है। दोनो ही पार्टियों ने परिवारवाद की राजनीति पर भरोसा दिखाया है। इस बार उत्तराखंड चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर 20% प्रत्याशियों का परिवारिक राजनीति से नाता है। हालांकि ये तस्वीरें 10 मार्च को साफ हो जाएगी कि परिवारवाद का ये तरीका दोनों पार्टियों को कितना लाभकारी होता है।
उत्तराखंड चुनाव में दो मुख्यमंत्रियो की बेटियों की किस्मत दांव पर लगी है। हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को कांग्रेस ने हरिद्वार से व बीजेपी ने पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी को कोटद्वार से चुनावी मैदान में उतारा है।
क्रमानुसार ये वे सीटे है जहां पर कभी इनके पिता भी हार चुके है। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीसी खंडूरी कोटद्वार से हार गए थे। हरीश रावत भी 2017 के चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण से सीट गंवा बैठे थे। इस बार के चुनाव में दोनों बेटियां अपने पिता का बदला लेने के लिए अग्रसर है।
भाजपा ने पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज से टिकट दिया है वहीं कांग्रेस ने भी नैनीताल सीट से यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य को चुनावी मैदान में उतारा है। बीजेपी ने अपने वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा का टिकट काट कर उनकी जगह उनके बेटे त्रिलोक चीमा को मौका दिया है।
खानपुर सीट से MLA कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की पत्नी मैदान में है।
पिथौरागढ़ से प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है।
सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को बीजेपी सल्ट से टिकट दिया है।
हाल ही में बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से टिकट मिला है।
बीजेपी ने दिग्गज नेता हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को देहरादून कैंट सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस की दिगवंत नेता इंदिरा हृदयेश की परंपरागत सीट हल्द्वानी से उनके बेटे सुमित हृदयेश को टिकट दिया है।
भाजपा ने पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज से टिकट दिया है।
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