आखिर क्या हैं भारत में फोन टैपिंग के नियम, किसकी अनुमति से टेप हो सकता है आपका फोन

आखिर क्या हैं भारत में फोन टैपिंग के नियम, किसकी अनुमति से टेप हो सकता है आपका फोन

राजस्थान की राजनीति में फोन टैपिंग का मामला आने के बाद प्रदेश की राजनीति राष्ट्रीय स्तर पर जा पहुंची है, ऐसे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं फोन टैपिंग से जुड़ा हर वो नियम जो फोन टैपिंग के दौरान बेहद जरूरी है

जयपुर.  राजस्थान में ऑडियो टेप वायरल होने का मामला खूब चर्चा में आ रहा है। आपको बता दें कि ये टेप विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है। वहीं इसे देखते हुए गहलोत सरकार ने केस दर्ज कराया था। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि भारत में फोन टैपिंग के क्या नियम हैं और किस व्यक्त‍ि का फोन किस आधार पर टैप किया जा सकता है। इसके लिए किससे इजाजत लेनी होती है। सर्वि‍लेंस पर गहरी पकड़ रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो फोन टैपिंग के लिए सबसे पहले पुलिस प्रशासन को गृह मंत्रालय से ही इजाजत लेनी पड़ती है। किसी की भी फोन टैपिंग इतनी आसान नहीं होती है, इसके लिए कई तरह के प्रावधान हैं।

अन्य तरीके प्रभावी नहीं होते तब ही आखिर में फोन टैपिंग का विकल्प

उनका कहना है कि आंतरिक सुरक्षा या देश की सुरक्षा के मामलों में जब भी कानून व्यवस्था के लिए अन्य तरीके प्रभावी नहीं होते तब ही आखिर में फोन टैपिंग का विकल्प लिया जाता है। इससे पहले ट्रेसिंग के सभी तरीकों को अपनाया जाता है। फिर भी फोन टैपिंग सबसे बाद में ही विकल्प होता है।

अनुमति आईजी स्तर के अध‍िकारी से मिलती है लेकिन इस दौरान ही शासन से भी अनुमति लेना अनिवार्य होता है

पुलिस कार्रवाई के दौरान जब भी आंतरिक सुरक्षा के मामलों में तत्काल किसी को सर्विलांस में लेकर उसके फोन टैपिंग की जरूरत होती है तो प्रत्याशा के तहत सात दिनों की परमिशन दी जा सकती है। ये अनुमति आईजी स्तर के अध‍िकारी से मिलती है लेकिन इस दौरान ही शासन से भी अनुमति लेना अनिवार्य होता है। देश के मामले में ये इजाजत गृह मंत्रालय और प्रदेश के मामले में भी सरकार ने स्टेट को पॉवर दे रखी है। यहां भी गृह सचिव राज्य स्तर के अपराध या आंतरिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामलों में ही फोन टैपिंग की परमिशन देने का पॉवर रखता है।

नियम के अनुसार राजनीतिक नेताओं की टेलीफोनिक बातचीत को आधिकारिक तौर पर टैप नहीं किया जा सकता

यहां यह जानना भी जरूरी है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को भारतीय टेलीग्राफिक अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) के तहत लोगों के फोन टैप करने का पूरा अधिकार है। फोन टैप उसी शर्त पर होते हैं जब जांच की आवश्यकता होती है। ऐसे में न्यायिक प्रक्र‍िया के प्राधिकरण या एजेंसी उस व्यक्ति की बातचीत रिकॉर्ड करती है जो संदेह के दायरे में है। नियम के अनुसार राजनीतिक नेताओं की टेलीफोनिक बातचीत को आधिकारिक तौर पर टैप नहीं किया जा सकता है।

फोन टैपिंग को अभ‍िव्य‍क्त‍ि की स्वतंत्रता और निजता के अध‍िकार का हनन माना

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फोन टैपिंग को अभ‍िव्य‍क्त‍ि की स्वतंत्रता और निजता के अध‍िकार का हनन माना, लेकिन इस कानून को पूरी तरह खत्म करने के बजाय इसमें संशोधन के लिए बाद में हाई पावर कमेटी बना दी थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने भारतीय टेलीग्राफिक कानून 1951 में कुछ संशोधन करके इसमें नियम 491-ए भी शामिल किया था। लेकिन, इस संशोधन से भी स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है। अब एक बार फिर राजस्थान का मामला सामने है। ऐसे में इसमें दुबारा खामिया

Like and Follow us on :

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com