
Made History: राजस्थान के तीरंदाज रजत चौहान ने एक बार फिर से इतिहास रचते हुए एशियन गेम्स 2023 के लिए क्वालीफाई कर लिया है। हरियाणा के सोनीपत में हाल ही में आयोजित हुई ट्रायल में राजधानी जयपुर के लाड़ले रजत ने शानदार प्रदर्शन किया। जिसके साथ ही वो एक बार फिर से एशियन गेम्स में क्वालीफाई करने में सफल रहे।
इससे पहले भी राजस्थान के इस तीरंदाज ने इतिहास रचते हुए देश के लिए एशियन गेम्स में मेडल जीता था। रियाणा के सोनीपत में 17 जनवरी से 20 जनवरी तक आयोजित हुई ट्रायल में राजस्थान के तीरंदाज रजत चौहान ने शानदार प्रदर्शन किया। साथ ही वो चीन के हेंगजाऊ में आयोजित होने वाली एशियन गेम्स चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे।
बता दें कि रजत ने जर्मनी में आयोजित होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप और वर्ल्ड कप स्टेज 1 और वर्ल्ड कप स्टेट 2 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
रजत चौहान अभी राजस्थान पुलिस में डिप्टी एसपी के पद पर कार्यरत हैं। खास बात यह है कि रजत पहले भी भारत के लिए 2014 एशियन गेम्स में स्वर्ण और 2018 एशियन गेम्स में रजत पदक जीत चुके हैं। यह रजत चौहान का तीसरा एशियन गेम्स होगा। जिसमें वो भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
रजत भारत के एक मात्र पुरुष खिलाड़ी हैं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप की कंपाउंड स्पर्धा में व्यक्तिगत रजत पदक जीता है। वहीं, इससे पहले कोलकाता में हुई फर्स्ट ट्रायल में भी रजत का शानदार प्रदर्शन रहा था। रजत भारत के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 360 में से 360 स्कोर का स्कोर बनाया था। वहीं, रजत चौहान ने बताया कि उनकी कोशिश रहेगी कि एक बार फिर से वो देश के लिए मेडल जीत कर लाए।
उत्तराखंड पुलिस की ओर से देहरादून में आयोजित हुई 11वीं अखिल भारतीय पुलिस तीरंदाजी प्रतियोगिता- 2022 में भी राजस्थान पुलिस तीरंदाजी टीम ने 05 स्वर्ण, 03 रजत व 01 कांस्य पदक सहित कुल 09 पदक प्राप्त किए थे। वहीं, पुरुष टीम को रनर अप ट्राफी से सम्मानित किया गया था।
राजस्थान पुलिस के उप अधीक्षक रजत चौहान ने प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 04 स्वर्ण और 02 रजत पदक जीते तथा प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज रहे थे। राजस्थान पुलिस के खेल इतिहास का नया रिकार्ड अपने नाम किया।
जयपुर के ताराचंद चौहान व निर्मला देवी के घर 30 दिसम्बर 1994 को जन्मे रजत चौहान देश के जाने-माने तीरंदाज हैं। रजत ने छोटी सी उम्र में धनुष तीर उठा लिया था। वर्ष 2008 में रजत को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में ट्रायल के लिए चुना गया। कोच कमलेश शर्मा ने रजत की प्रतिभा को निखारा और उसके बाद रतज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
मीडिया से बातचीत में रजत चौहान ने बताया था कि उन्होंने वो दिन भी देखे हैं जब वर्ष 2011 में बैंकॉक एशियन ग्रांपी की तैयारी कर रहा था। तब उम्र 17 साल थी। मेरा धनुष टूट गया था। मैं बहुत निराश हो चुका था। तीरंदाजी किट काफी महंगे आते हैं। यह बात जब पिता ताराचंद चौहान को पता चली तो उन्हें तुरंत अपनी टाटा इंडिगो कार बेच दी। एक समय ऐसा भी आया कि मां निर्जला को गहने भी गिरवी रखने पड़े। फिर बेटा बैंकाक में स्वर्ण जीतकर लौटा।
रजत चौहान बताते हैं कि वर्ष 2016 से पहले मैंने एशियन गेम्स, विश्व कप, विश्व चैंपियन और एशियन ग्रां पी के मेडल शामिल थे। वर्ष 2018 में एशियन गेम्स में टीम मेडल लगाया। रजत के अनुसार राजस्थान में खिलाड़ियों के लिए आउट ऑफ टर्न सर्विस पॉलिसी बनी उसमें 2016 से पहले के मेडलिस्ट को नौकरी देने का नियम नहीं था। मैं बहुत परेशान था और कंपाउंड छोड़ रिकर्व खेलने लगा था।
रजत बताते हैं कि एक दिन मैं अपने नेशनल कोच जीवनजोत सिंह से मिलने पटियाला गया था। उन्होंने मुझे समझाया कि रजत कंपाउंड में भारत को तुम्हारी जरूरत है। मेरी बात मानो तुम अभी कंपाउंड खेलो। मैं पसोपेश में था। क्या करूं। फिर उन्होंने राजस्थान में मेरे कोच धनेश्वर मइदा और परिवार वालों पर दबाव बनाया कि रजत को कंपाउंड खेलने के लिए तैयार करो। काफी दबाव के बाद मैंने एक बार फिर कंपाउंड शुरू किया।