
केंद्रीय कैबिनेट ने 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल -2023' को मंजूरी दे दी है। इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जायेगा। इस बिल को देशभर से 21,666 लोगों की राय मिली है। इस बिल को यूरोपीय डेटा संरक्षण मानकों के आधार पर बनाया गया है।
डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल में बताया गया है कि यदि कोई इंटरमीडियट कंपनी नागरिकों के डिजिटल डेटा का इस्तेमाल करती है या लीक करती है तो कंपनी पर 500 करोड़ का जुर्माना भी लग सकता है।
1.इंटरमीडियट कंपनी उपभोक्ता से अनुमति के बाद ही उसका पर्सनल डाटा इस्तेमाल कर पायेंगी।
2.उपभोक्ता के पास डाटा को इस्तेमाल करने की अनुमति वापस लेने का भी अधिकार रहेगा।
3.सरकार की अनुमति के बिना उपभोक्ता का डाटा देश से बाहर नही जा पायेगा।
1. डेटा का इस्तेमाल धोखाधड़ी रोकने में हो सकता है।
2. एक कंपनी का दूसरी कंपनी के साथ विलय की स्थिति में डाटा शेयर कर पायेंगी।
3. क्रेडिट और लोन की जानकारी के लिए भी डाटा शेयर कर पायेंगी।
गूगल ,अमज़ोन जैसी कंपनिया उपभोक्ताओं का डिजिटल डाटा भारत से बाहर नही ले जा पायेंगी। अगर सरकार इस की अनुमति देती है तो कंपनिया ऐसा कर पायेंगी।
डिजिटल डेटा नियमों का पालन करने के लिए एक डेटा संरक्षण बोर्ड बनाया जायेगा। डेटा संरक्षण बोर्ड ही तय करेगा कि कितना जुर्माना लगेगा।