न्यूज़- उत्तराखंड जीएसटी विभाग की 55 टीमों ने 70 कंपनियों का सर्वे कर लगभग 8000 करोड रूपए के ई-वे बिलों के फर्जीवाडा को पकड़ा है। बता दें कि जारी एक प्रेस रिलीज में राज्य कर आयुक्त सौजन्या ने बताया कि विभाग को पिछले कुछ महीने से ही खबरें मिल रही थीं कि उत्तराखंड में भारी मात्रा में फर्जीवाड़ा हो रहा है। अधिकारियों तब जाकर पता चला कि कुछ लोगों जीएसटी के तहत फर्जी तरीके से पंजीयन लेकर करोडों रुपए का हेरफेर कर रहे हैं। सोमवार (16 दिसंबर) के छापे में यह पता चला कि ई-वे बिल के माध्यम एक फर्जी कारोबार चलाया जा रहा है। इस छापे के बाद यह फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।
क्या है पूरा मामलाः अधिकारियों के अनुसार, फर्जी ई-वे बिल के जरिए एक या कई राज्यों में कारोबार दिखाया जा रहा था। बता दें कि जांच में यह पाया गया है कि 70 फर्मों ने राज्य के भीतर व बाहर पिछले दो माह में 8000 करोड रूपए के ई—वे बिल बनाए हैं। पता चला कि इनमें से 34 फर्म दिल्ली से मशीनरी आदि की खरीद के ई—वे बिल बना रही थीं। उन फर्मो द्वारा आपस में ही खरीद—बिक्री के साथ ही बाहर की फर्मों को भी खरीद—बिक्री दिखाई जा रही थी। विभाग द्वारा की गई अब तक की सबसे बडी जांच में यह खुलासा हुआ है।
1200 करोड़ के कारोबार को 8000 बनाया गयाः मामले में अधिकारियों ने बताया कि इन बिलों का सही मूल्य 1200 करोड रूपए है लेकिन उसे फर्जी बिलों के माध्यम से बढाते हुए 8000 करोड रूपए कर दिया गया था। बता दें कि छब्बीस फर्मों के माध्यम से चमडा उत्पादों की बिक्री आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों को दिखाई जा रही थी । लेकिन मौके पर न तो कोई फर्म पाई गई और न ही इसे चलाने वाले कोई व्यक्ति का पता चल पाया। वहीं इस फर्जीवाडे का दायरा अन्य राज्यों तक फैला हुआ है और इसकी जांच जारी है।