इरफ़ान ख़ान की मौत पर खुश क्यों है मुस्लिम?

मुस्लिम परिवार में पैदा हुए एक ब्राह्मण थे इरफान खान
इरफ़ान ख़ान की मौत पर खुश क्यों है मुस्लिम?
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न्यूज – "पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बजती रही। लगता है कोई जिंदगी में बड़ी शिद्दत से अपने किरदार को निभाकर चला…." बॉलीवुड के जाने माने एक्टर इरफान खान का मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में बुधवार को निधन हो गया। वह 53 साल के थे।

बॉलीवुड एक्टर इरफान खान किसी परिचय के मोहताज नहीं है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ने वाले इरफान पिछले कुछ सालों में सुपरस्टारडम हासिल करने में कामयाब रहे हैं, बहुमुखी प्रतिभा के धनी इरफान लीक से हटकर चलने वाले लोगों में से हैं, शायद यही कारण है कि वे पठान परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद शुद्ध शाकाहारी रहे।

इरफान का पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान है, उनका जन्म एक पठान मुस्लिम ​परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम जागीरदार खान था, वे टायर का व्यापार करते थे, इरफान ने पठान मुस्लिम परिवार में जन्म होने के बाद भी कभी मीट या मांस नहीं खाया था और वे बचपन से ही शाकाहारी थे, यही कारण है कि उनके पिता इरफान को मजाक में कहा करते थे कि ये तो पठान परिवार में एक ब्राह्मण पैदा हो गया है।

इरफान के पिता उन्हें शिकार पर भी ले जाया करते थे, जंगल का वातावरण उन्हें काफी रोमांचित भी करता था लेकिन उन्हें कभी पसंद नहीं आता था जब मासूम जानवरों का शिकार होता था, इरफान उन जानवरों के साथ कनेक्ट महसूस करते थे कि आखिर अब इन जानवरों के परिवारों का क्या होगा, इरफान खुद भी राइफल चलाना जानते हैं लेकिन खुद कभी शिकार नहीं करते थे।

वर्ष 2016 में जब रमजान के महिने में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आतंकी हमला हुआ था उस समय 20 लोग मारे गए थे जिनमें एक भारतीय लड़की भी थी इस पर इरफान ने मुसलमानों की चुप्पी पर सवाल उठाए थे और लिखा था कि….

"बचपन में मजहब के बारे में कहा गया था कि आपका पड़ोसी भूखा हो तो आपको उसको शामिल किए बिना अकेले खाना नहीं खाना चाहिए बांग्लादेश की खबर सुनकर अंदर अजीब सा सन्नाटा है कुरान की आयत ना जानने की वजह से रमजान के महीने में लोगों का कत्ल कर दिया गया हादसा एक जगह होता है बदनाम इंसान और पूरी दुनिया का मुसलमान होता है

वह इस्लाम इसकी बुनियादी अमन रहम और दूसरों का दर्द महसूस करना है ऐसे में क्या मुसलमान चुप बैठे रहे? और मजहब को बदनाम होने दे या वह खुद इस्लाम के सही मायने को समझें और दूसरों को बताएं ठीक जुल्म और कत्ल धात करना इस्लाम नहीं है यही एक सवाल है।"

इरफान खान ने ईद पर दी जाने वाली बकरे की कुर्बानी पर भी सवाल उठाए थे मोहर्रम पर भी सवाल उठाए थे इसीलिए मुस्लिम धर्मगुरु और मौलाना उनकी आलोचना करते थे।

इरफान खान ने अपनी फिल्म 'मदारी' के प्रमोशन के वक्त जयपुर मेंं कहा था…

"जितने भी रीति-रिवाज और त्यौहार हैं हम उनका असली मतलब भूल गए हैं, हमने उन का तमाशा बना कर रख दिया है, कुर्बानी एक अहम मौका है, इसका मतलब है बलिदान करना, लेकिन किसी दूसरे की जान कुर्बान करके हम कौन सा बलिदान कर रहे हैं?

जिस वक्त में ये रस्म शुरू हुई होगी उस वक्त भेड़ और बकरे भोजन के मुख्य स्रोत थे, बहुत लोग थे जिन्हें खाने को नहीं मिलता था, उस वक्त भेड़ और बकरियों की कुर्बानी करना मतलब अपने प्रिय पशु को कुर्बान करना और उसे दूसरों में बांटने से था, आज आप बाजार से दो बकरे खरीद लाते हो तो उसमें आपने क्या कुर्बान किया? हर आदमी अपने आप से पूछे कि किसी दूसरे की जान लेने से उसे कैसे पुण्य मिल जाएगा?"

आमतौर पर सेलेब्रिटी लोग, कमजोर होते है जो किसी भी गंभीर विषय पर बोलने से डरते हैं क्योंकि उनकी बहुत सी चीजें दांव पर लगी होती है, ऐसे में इरफान से कुछ मुसलमान नाराज हो गए यंहा तक की मौलवी और धर्मगुरुओं ने उनसे माफी मांगने को कहा…

लेकिन उन्होंने डटकर अपनी बात को फिर रखा और फिर अपनी वही बात मजबूत की और कहा "प्लीज भाइयो, जो भी मेरे बयान से नाराज हैं, या तो आप आत्मविश्लेषण के लिए तैयार नहीं हैं, या फिर आपको निष्कर्ष तक पहुंचने की जल्दी है, मेरे लिए धर्म का मतलब है निजी आत्मविश्लेषण, धर्म दरअसल करुणा, ज्ञान और संयम का स्रोत है, इसका मतलब रूढ़िवादिता और चरमपंथ नहीं है, मौलवी लोग मुझे नहीं डराते!! थैंक गॉड, मैं धार्मिक ठेकेदारों द्वारा प्रशासित मुल्क में नहीं रहता हूं।

उन्होंने ये भी कहा कि जो फतवा देने वाले लोग हैं उन्हें इस्लाम का नाम बदनाम करने वालों के खिलाफ फतवा देना चाहिए, उनके खिलाफ जो आतंकवाद की दुकान चला रहे हैं। जिन्होंने आतंक के बिजनेस खोल रखे हैं।

इरफान खान यह सब बातें उस दौर में कह रहे थे जहां धर्म के खिलाफ बात करने पर न जाने किस किस तरह की टिप्पणी की जाती गालियां दी जाती है लेकिन फिर भी वह रुके नहीं और उन्होंने डटकर सामना किया। इरफान खान की ऐसी बहुत सी बातें है जो उन्हें एक सच्चा मुसलमान बनाती थी..

दिग्गज अभिनेताओं में शुमार इरफान खान के कैरियर की शुरूआत टेलीविजन सीरियल्स से हुई थी। अपने शुरूआती दिनों में वे चाणक्य, भारत एक खोज, चंद्रकांता जैसे धारावाहिकों में दिखाई दिए। उनके फिल्मी कैरियर की शुरूआत फिल्म 'सलाम बाम्बे' से एक छोटे से रोल के साथ हुई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में छोटे बड़े रोल किए लेकिन असली पहचान उन्हें 'मकबूल', 'रोग', 'लाइफ इन ए मेट्रो', 'पान सिंह तोमर', 'द लंच बाक्स' जैसी फिल्मों से मिली। वे बॉलीवुड की 30 से ज्यादा फिल्मों मे अभिनय कर चुके हैं।

इरफान हॉलीवुड में भी भारतीयता का प्रतिनिधित्व करने वाला एक जाना पहचाना नाम हैं। वह ए माइटी हार्ट, स्लमडॉग मिलियनेयर और द अमेजिंग स्पाइडर मैन फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। 2011 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफान खान को फिल्म पान सिंह तोमर में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिया गया।

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