यूक्रेन पर रूस के इस हमले से दुनिया पर एक विनाशकारी युद्ध का संकट मंडराने लगा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अगर रूस और अमेरिकी प्रभुत्व वाले नाटो देशों के बीच तनाव और बढ़ा तो ये दुनिया को तीसरे वर्ल्ड वॉर की ओर ले जा सकता है। अमेरिका समेत यूरोपियन देशों ने रूस से इस युद्ध को रोकने की अपील भी की, लेकिन पुतिन ने अब तय कर लिया है कि या तो यूक्रेन नाटो का मोह छोड़ दे या फिर युद्ध से मचने वाली तबाही को झेलने के लिए तैयार रहे।
पुतिन के इस निर्णय ने साफ़ कर दिया हैं कि अब रूस झुकने वाला नहीं है। रूस और यूक्रेन जंग के मुहाने पर खड़े हैं। रूस ने बुधवार को ही यूक्रेन बॉर्डर पर 100 नए मिलिट्री वाहन तैनात कर दिए। साथ ही, अपनी सेना के इलाज के लिए रूस ने सीमा पर अस्थाई अस्पताल भी बना लिया है। इधर, यूक्रेन और बेलारुस बॉर्डर से सटे मोइजर इलाके में रूस ने हेलीपैड का भी निर्माण किया है। लेकिन यहाँ सवाल यह हैं कि, रूस के इस 'ना झुकने' वाले रवैये का तोड़ क्या हैं ? पूरी दुनिया विस्तारवादी रूस पर कैसे पार पाएगी?
बता दें कि, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के लिए कई देशों ने रूस पर कई तरह की पाबंदिया लगाई हैं। इन देशों में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। अगर बड़े देशों के इस संयुक्त कदम पर नज़र डालें तो 'प्रतिबंध' एक बड़ा कदम साबित हो सकता हैं। युद्ध और कूटनीति के मामले में प्रतिबंध एक ऐसा हथियार हैं, जिसका धमाका दिखाई और सुनाई तो नहीं देता, लेकिन इसका असर बहुत गहरा और लंबे समय तक रहता हैं। अमेरिका सहित यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाकर इसी तरह का साइलेंट हमला बोला है। लेकिन अगर रूस के लिहाज़ से देखा जाए, तो ये पाबंदिया खानापूर्ति मात्र हैं। अब यहाँ यह जानना जरुरी हैं कि, रूस पर लगाए गए इन प्रतिबंधों से युद्ध टल सकता है या नहीं ? साथ ही, यह भी जानेंगे कि इन पाबंदियों का असर क्या होगा और ये पाबंदिया बेअसर सी प्रतीत क्यों होती हैं ? इसके लिए सबसे पहले प्रतिबंधों की लिस्ट देखना जरूरी है।
अमेरिका : अमेरिका शुरू से ही यूक्रेन की सीमा पर रूसी सेना के जमावड़े का विरोध करते आया है। रूसी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र की मान्यता दिए जाने को लेकर अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। बता दें कि, देश ने रूस के 2 सरकारी बैंकों पर बैन लगाया हैं। इन बैंकों में VEB और मिलिट्री बैंक शामिल हैं।
प्रभाव : बता दें कि, अमेरिका ने जिन बैंकों पर प्रतिबंध लगाया है, उसका असर तो मामूली हैं। लेकिन अगर ये दायरा बढ़ता है तो इससे दुनियाभर में रूस के बैंकिंग कारोबार पर बुरा असर होगा। साथ ही रूस की अर्थव्यवस्था को भारी नुक्सान होगा, इसलिए रूस को अपने इन बैंकों को बेलआउट करना होगा।
जर्मनी : जर्मनी ने रूस के साथ 11.6 अरब डॉलर की नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को शुरू करने की प्रक्रिया रोक दी है। बता दें कि, इस पाइपलाइन के ज़रिए जर्मनी में रूस से नेचुरल गैस की सप्लाई की जानी थी। इस बारे में जर्मनी ने कहा कि, रूस के हालिया कदम को लेकर यह फैसला किया गया हैं।
प्रभाव : बता दें कि, रूस यूरोप का सबसे बड़ा नेचुरल गैस सप्लायर भी है। रूस लगभग 33 प्रतिशत गैस की सप्लाई करता है, लेकिन इस प्रतिबंध से रूस को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। दूसरी तरफ यूरोप में गैस के दाम भी बढ़ जाएंगे।
ब्रिटेन : ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रूस के 5 बैंकों और तीन बड़े पूंजीपतियों के ख़िलाफ़ पाबंदियों की घोषणा की है। बोरिस जॉनसन ने घोषणा करते हुए कहा कि, रूस के जिन तीन अरबपतियों पर पाबंदी लगाई गई है, ब्रिटेन में उनकी संपत्ति फ़्रीज की जा रही है और साथ ही उन्हें ब्रिटेन आने से रोका जाएगा।
प्रभाव : बता दें कि, रूस के ये तीन बड़े बिजनेसमैन गेनेडी टिमचेंको, बोरिस रोटेनबर्ग और आइगर रोटेनबर्ग हैं। अब यहां ये जानना जरूरी है कि, ये तीनों बिजनेसमैन रूस की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में एक सिमित दायरे में इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता हैं।
जापान : बता दें कि, रूस ने यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र प्रदेश की मान्यता दी है। जापान ने इन प्रदेशों के अमीर लोगों की जापान में स्थित संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है और उनका वीजा भी रद्द कर दिया है।
प्रभाव : जापान ने कहा है कि, अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो वो अमेरिका का साथ देगा। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने रूस के हालिया कदम की निंदा करते हुए कहा है कि, ये अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन है।
यूरोपीय यूनियन [ ईयू ] : ईयू ने रूसी बैंकों और ईयू के वित्तीय बाजारों तक रूस की पहुंच पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही ईयू उन रूसी सांसदों को निशाना बनाने की भी तैयारी कर रहा है, जो यूक्रेन पर रूस के पक्ष पर सहमत हैं। ईयू रूस को वैश्विक बैंकिंग सिस्टम से भी काट सकता है।
प्रभाव : यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल ने यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा था कि, यूक्रेन के खिलाफ खतरा पूरे यूरोप के लिए खतरा है। अगर ईयू रूस को वैश्विक बैंकिंग सिस्टम से काट देता हैं, तो इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है।
अमेरिका सहित यूरोपीय देशों ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, वे इतने असरदार नहीं है। लेकिन अगर ये देश चाहते तो दूसरे कई ऐसे प्रतिबंध लगा सकते थे, जिनसे रूस चरमरा जाता और शायद युद्ध टल सकता था। लेकिन यहाँ देशों को डर हैं कि, अगर ज्यादा सख्ती की तो खुद को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं कि, वो कौनसे प्रतिबंध हैं, जो रूस के खिलाफ ज्यादा कारगर साबित होते।
1. अमेरिका चाहे तो उन टेक्नोलॉजी पर भी पाबंदी लगा सकता है, जिनके लिए रूस का अमेरिकी कंपनियों से करार हैं। बता दें कि, इन तकनीकों में जहाज़ उड़ाने और स्मार्टफोन चलाने में काम आने वाली तकनीकें भी शामिल हैं।
2. रूस को यूएस डॉलर मं लें - दें करने से भी रोका जा सकता है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय लेन - देन के लिए अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता हैं। साथ ही यह लेन - देन अमेरिकी फाइनेंशियल सिस्टम से होता है। ऐसे में अगर अमेरिका इस पर रोक लगा देता तो रूस का डॉलर में ट्रांजेक्शन बुरी तरह प्रभावित होता।
3. तीसरी पाबंदी की बात करें, तो रूस को स्विफ्ट फाइनेंशियल सिस्टम से भी बाहर किया जा सकता था। इससे विदेश पैसे भेजने और विदेश से पैसे लेने की क्षमता प्रभावित होती। इसका कारण यह है कि, स्विफ्ट से एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसे भेजे जाते हैं। हांलाकि, रूस ने एसएफएस सिस्टम डेवलप किया हैं, जो ऐसे हालात से निपटने में मदद करता हैं।