डेस्क न्यूज़: भारत में विकसित पहली कोरोना वायरस Vaccine Covaxin का ट्रायल बच्चों पर शुरू होने वाला है। एम्स दिल्ली में इसकी स्क्रीनिंग सोमवार से शुरू हो गई। इस ट्रायल में 2 साल से 18 साल तक के वालंटियर्स शामिल होंगे। इस टीके का बच्चों पर ट्रायल एम्स पटना में शुरू हो चुका है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 12 मई को 2 से 18 वर्ष की आयु के टीके के चरण 2/3 परीक्षण को मंजूरी दी।
यह परीक्षण 525 स्वस्थ स्वयंसेवकों पर किया जाएगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्क्रीनिंग रिपोर्ट आने के बाद वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी। ट्रायल के दौरान वैक्सीन की दो डोज दी जाएंगी। दूसरी खुराक 28 दिनों के बाद दी जाएगी।
प्रधान अन्वेषक डॉ संजय राय के अनुसार, अब तक दस गुना अधिक स्वयंसेवकों ने परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए आवेदन किया है, जो उत्साह दिखाता है। मानव परीक्षण में शामिल बच्चों को तीन समूहों में बांटा गया है। पहला समूह 12 से 18 वर्ष का है, इस समूह में शामिल स्वयंसेवकों को 6mg की खुराक दी जाएगी। उसके बाद 6 से 12 साल, फिर 2 से 6 साल की उम्र के बच्चों को वैक्सीन के ट्रायल में शामिल किया जाएगा और बच्चों का भी टेस्ट बड़ों जैसा होगा।
Covaxin को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया है। Covaxin एक 'निष्क्रिय' टीका है। यह उन्हीं कोरोना वायरस के मृत कणों से बना है। इसकी खुराक शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है। ये एंटीबॉडी शरीर को कोरोना संक्रमण से बचाते हैं।
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान इस साल 16 जनवरी को चरणबद्ध तरीके से शुरू हुआ था। अभियान के पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता दी गई। फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण 2 फरवरी से शुरू हुआ था। 1 मार्च को टीकाकरण के अगले चरण में 45-60 आयु वर्ग के लोगों को चिह्नित बीमारी से कवर किया गया। 1 मई को 18-44 वर्ष की आयु के लाभार्थियों के लिए टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हुआ।