इस साल शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि आती है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्रि की रौनक घरों में ही नहीं मंदिरों और बाजारों में भी देखी जा सकती है। कहा जाता है कि नवरात्रि की पूजा और विधि-विधान से व्रत करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
शारदीय नवरात्रि हिंदुओं की विशेष आस्था का पर्व है मां दुर्गा के 9 दिव्य रूपों की पूजा का महान पर्व है। देश के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व की शुरुआत तब हुई जब राक्षस महिषासुर का वध मां दुर्गा ने किया था। दोनों के बीच 9 दिनों तक लड़ाई चली और दसवें दिन मां दुर्गा ने राक्षस का वध किया। तभी से नवरात्रि का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं और इस बार 9 की जगह 8 दिन होंगे. इसका कारण यह है कि बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है. यानी अगर दो तारीखें एक साथ पड़ें तो एक दिन घट रहा है। ऐसे में 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्रि रहेगी. नवरात्रि के दिनों का घटना शुभ नहीं माना जाता है। नवरात्र 9 की जगह 8 दिन का होना इस बार शुभ संकेत नहीं है।
नवरात्रि गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 से शुरू हो रहे हैं। इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है, इसलिए शारदीय नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी। दशहरा 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
– पहला दिन (7 अक्टूबर)- मां शैलपुत्री की आराधना
– दूसरा दिन (8 अक्टूबर)- मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
– तीसरा दिन (9 अक्टूबर)- मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा
– चौथा दिन (10 अक्टूबर)- मां स्कंदमाता की आराधना
– पांचवा दिन (11 अक्टूबर) मां कात्यायनी की आराधना
– छठा दिन (12 अक्टूबर) मां कालरात्रि की आराधना
– सातवां दिन (13 अक्टूबर)- मां महागौरी की पूजा
– आठवां दिन (14 अक्टूबर)- मां सिद्धिरात्रि की पूजा
– नौवां दिन (15 अक्टूबर)- दशहरा
नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री पहले से ही तैयार कर लें। लाल चुनरी, मौली, दीपक, घी, धूप, नारियल, फूल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मिसरी, कपूर, आदि की खरीदारी कर लें। भोग के लिए सभी फलों का इंतजाम भी कर लें।
कलश स्थापना कर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले ही दिन सुबह कलश स्थापना का मुहूर्त बनता है। इस बार ये मुहूर्त 7 अक्टूबर को सुबह 6:17 बजे से शुरू होगा। कलश स्थापना 7:07 बजे तक किया जा सकता है।
नवरात्रि के दिन सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ पानी से स्नान कर लें। पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान करें या स्नान के पश्चात शरीर पर गंगा जल का छिड़काव करें। कलश स्थापना के स्थान पर दीया जलाएं और दुर्गा मां को अर्घ्य दें। इसके बाद अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। लाल फूलों से मां को सजाएं और फल, मिठाई का भोग लगाएं। धूप, अगरबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा पढ़े और अंत में आरती करें।