पश्चिम बंगाल में मतों की गिनती जारी है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पिछड़ता देख, शिवसेना ने भगवा पार्टी पर तंज कसा है।
पार्टी ने कहा है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल की भविष्यवाणी करने वालों
को यह भी चिंता करनी चाहिए कि कोरोना महामारी को नहीं संभाल पाने वाली केंद्र सरकार क्या स्थिर रह पाएगी।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने अपनी पार्टी के मुखपत्र सामना के साप्ताहिक कॉलम में कहा, "
जो दावा कर रहे हैं कि 2 मई को चुनाव के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक बदलाव होगा,
उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि दिल्ली में भी झटके महसूस किए जाएंगे।"
संजय राउत, जो मुखपत्र के कार्यकारी संपादक भी हैं,
ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की व्यक्तिगत हार होगी,
जिन्होंने राज्य में चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया।
उन्होंने लिखा, "यह दावा करने वाले कि महाराष्ट्र सरकार का भविष्य पश्चिम बंगाल के परिणामों पर निर्भर है, गलतफहमी में जी रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि कुछ लोग किस आधार पर कह रहे हैं कि अमित शाह अब महाराष्ट्र सरकार को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। वे या तो सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को उनकी धन शक्ति के आधार पर लुभाएंगे या वायरस से निपटने में हमारी विफलता का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाएंगे।"
वही कोरोना के रिकॉर्ड मामलों के बीच 62 दिन चली चुनाव प्रक्रिया के बाद आज बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनाव नतीजे आ रहे हैं। तीन राज्य बंगाल, केरल और असम में बदलाव नहीं दिख रहा है। यानी बंगाल में तृणमूल, केरल में LDF और असम में भाजपा ही सरकार बनाती दिख रही है, जो पहले से थी।.
हां, तमिलनाडु में जरूर बदलाव होता दिख रहा है। वहां द्रमुक सरकार बनाने के करीब है। चुनाव में कांग्रेस उसके साथ है। पुडुचेरी में मामला जरूर फंसा दिख रहा है।
बंगाल में चार घंटे में ही तृणमूल कांग्रेस 148 सीटों के बहुमत के आंकड़े (292 सीटों के हिसाब से 147) को पार कर 200 से ज्यादा सीटों पर पहुंच गई। हालांकि, यह आंकड़ा 2016 में तृणमूल को मिलीं 211 सीटों से कम है।
उधर, नंदीग्राम में ममता बनर्जी भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से 2 राउंड में आगे हो गई थीं, पर 13वें राउंड की गिनती शुरू होते ही वो 3000 वोटों से पिछड़ गईं।