Black Fungus Epidemic : देश में कोरोना वायरस के कहर के साथ ही अब ब्लैक फंगस का प्रकोप तेज हो गया है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइाकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने आग्रह किया है। कहा जा रहा है कि इस संक्रमण से कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
Black Fungus Epidemic : ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस से बचाव और इसके इलाज के लिए केंद्र सरकार ने पांच और कंपनियों को दवा बनाने की इजाजत दे दी है। केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट किया कि कई राज्यों में कुछ कोविड-19 रोगियों को प्रभावित करने वाले अवसरवादी फंगल संक्रमण के इलाज करनेवाली दवाओं की कमी जल्द हल कर लिया जाएगा।
मनसुख मंडाविया ने लिखा, ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) का इलाज करने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी की कमी जल्द ही दूर हो जाएगी! तीन दिनों के भीतर, मौजूदा छह फार्मा कंपनियों के अलावा पांच और फार्मा कंपनियों को भारत में उसके उत्पादन के लिए नई दवा की मंजूरी मिल गई है।
मौजूदा फार्मा कंपनियों ने पहले ही उत्पादन में तेजी लाना शुरू कर दिया है, भारतीय कंपनियों ने भी एम्फोटेरिसिन बी दवा की छह लाख शीशियों को आयात करने के लिए ऑर्डर दिया है। हम स्थिति को बेहतर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइाकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने आग्रह किया है। इसने यह भी कहा है कि इस संक्रमण से कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि हालिया समय में कई राज्यों से कोविड रोगियों में फंगस संक्रमण 'म्यूकरमाइाकोसिस' के रूप में एक नयी चुनौती सामने आई है। इसने कहा कि यह बीमारी खासकर ऐसे कोविड रोगियों में देखने को मिल रही है जिन्हें स्टेरॉइड पद्धति उपचार मिला है और जिनका शर्करा स्तर अनियंत्रित है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है, फंगस संक्रमण का परिणाम कोविड रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस संक्रमण के उपचार के लिए विभिन्न नजरियों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिसमें आंखों के सर्जन, कान-नाक-गला विशेषज्ञों, सामान्य सर्जन और अन्य का दृष्टिकोण शामिल हो तथा कवक रोधी दवा के रूप में एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है।