डेस्क न्यूज – वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान, कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने बुधवार को केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान पर सवाल उठाया।
उन्होंने पूछा कि अगर किसान आत्मनिर्भर हैं तो आंदोलन क्यों कर रहे हैं।
इसके अलावाउन्होंने अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक उद्यमों को बेचे जाने वाले निजीकरण और रोजगार के मुद्दों पर भी सरकार को घेरा।
आपको यह समझना होगा कि भारत की जमीनी सच्चाई क्या है-कपिल सिब्बल
संसद में चर्चा के दौरान, कपिल सिब्बल ने केंद्र की मोदी सरकार से सवाल किया कि क्या देश की जनता आत्मनिर्भर है?
क्या एमएसएमई, छोटे व्यापारी और विभिन्न क्षेत्र आत्मनिर्भर हैं?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि 86 प्रतिशत किसानों के पास पांच एकड़ से कम जमीन है, तो क्या वे आत्मनिर्भर हैं?
किसान आंदोलन कर रहा है क्योंकि वह आत्मनिर्भर है?
उन्होंने कहा कि ‘भाषण हो सकता है,
शब्दों को भी उलझाया जा सकता है लेकिन आपको यह समझना होगा कि भारत की जमीनी सच्चाई क्या है।’
सरकार के कुप्रबंधन के कारण देश की अर्थव्यवस्था खराब हुई है
कांग्रेस सांसद ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर भी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही खराब थी लेकिन वर्तमान में आपकी सरकार ने इसे और बर्बाद कर दिया है।
सिब्बल ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में इस सरकार के कुप्रबंधन के कारण देश की अर्थव्यवस्था खराब हुई है।
वहीं, बजट को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इस बार की घोषणाओं में भारत के आम लोगों को ही भूल गई।
लगभग 2.1 करोड़ नौकरियां चली गईं
रोजगार के मुद्दे पर सरकार को प्रोत्साहित करते हुए,
कपिल सिब्बल ने कोविद के कारण देश में तालाबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि
तालाबंदी के दौरान लगभग 2.1 करोड़ नौकरियां चली गईं।
लोग बेरोजगार होने की सूरत में अपने घर जाने के लिए बेताब थे और पैदल चल रहे थे,
लेकिन सरकार इन लोगों के जख्मों पर मरहम भी नहीं लगा पा रही थी।
उन्हें केवल कुछ उद्योगपतियों की याद आई।
आज भी किसानों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है।
किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार केवल उनकी बात सुनने के बजाय बोल रही है।
एक ऐसा व्यक्ति है जो हर जगह है-कपिल सिब्बल
सरकार के पूंजीपति मित्रों का उल्लेख करते हुए, कांग्रेस सांसद ने कहा कि केवल चार से पांच बड़े लोग हैं जो लगभग सभी संपत्तियों के मालिक हैं।
इतना ही नहीं, एक ऐसा व्यक्ति है जो हर जगह है।
किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि बंदरगाहों, हवाई अड्डों, शहर के गैस वितरण केंद्रों, रेलवे में हर जगह एक ही नाम है।
ऐसा क्यों नहीं होगा, जब आप किसी के जहाज पर जाएंगे तो उसे एयरपोर्ट तो देना ही होगा।
इसीलिए सरकार ने उस एक को ही छह-सात एयरपोर्ट दे दिए।
भले ही सरकार के इस फैसले का विरोध नीति आयोग करे या वित्त मंत्रालय इस पर सवाल उठाए लेकिन सबको दरकिनार कर दिया गया।