देशभर में कोरोना के रोज बढ़ते मामले और साथ में दवाओं-ऑक्सीजन के लिए मचे हाहाकार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लेकर सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए उनकी क्या योजनाएँ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस उच्च न्यायालय में कोरोना से संबंधित मामलों की सुनवाई के मद्देनजर जारी किया है।
वर्तमान स्थिति को 'राष्ट्रीय आपातकाल' के रूप में वर्णित करते हुए,
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने ऑक्सीजन और दवाओं की
आपूर्ति और टीकाकरण के संबंध में केंद्र से जवाब भी मांगा है। कोर्ट
ने केंद्र से कहा है कि वह कोरोना से लड़ने के लिए अपनी राष्ट्रीय स्तर पर तैयार की योजना बताए।
कोर्ट ने चार बिंदुओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
केंद्र ने कहा है कि सरकार के पास ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकाकरण और तालाबंदी की
प्रक्रिया केवल राज्य सरकार के पास होनी चाहिए, न कि न्यायालय के पास … इनका जवाब दे।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने इस दौरान यह भी कहा कि वर्तमान में देश के छह उच्च न्यायालयों में कोरोना से संबंधित मामलों की सुनवाई की जा रही है। इसमें दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, कलकत्ता और इलाहाबाद उच्च न्यायालय शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश ने इतने उच्च न्यायालयों में सुनवाई के बारे में कहा, "इससे भ्रम पैदा हो रहा है।"
लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल यानी कल होगी। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को एमिकस क्युरी भी नियुक्त किया है।