रिपोर्ट- कोरोना संक्रमित के मामले दिन-ब-दिन पूरे देश में बढ़ते जा रहे हैं,
लेकिन फिर भी सरकार की गाइड लाइन में
अब यही लिखा आता है कि आज मंदिर खुल गए कल जिम खुल गई
और आने वाले समय में जो चीजें अभी बाजार में बंद है,
वह भी खुलते हुए नजर आ रही है, अब सरकार ने कोरोना संक्रमित से मरने वाले मरीजों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी परिजनों को दे दी है,
यानी कि अब परिजन कोरोना संक्रमित से मरने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर सकते है,
शुरुआती दौर में जब लॉकडाउन लगा उस समय लोग काफी डरे हुए थे, लेकिन धीरे-धीरे अब वह भी खत्म होता जा रहा है।
एक नजर बढ़ते हुए कोरोना मामलों की और…
बता दे भारत में बीते 7 दिनों से लगातार 1000 से ज्यादा मौतें हो चुकी है, और पिछले 24 घंटे में 75000 नए मामले के सामने आए हैं,
बता दे कोरोना संक्रमण दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से भारत में फैल रहा है,
वही देश में पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड 75809 नए मामले
सामने आए हैं, और 1133 लोगों की जान चली गई, देश में 2 सितंबर से लगातार हर
दिन 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है, और कोरोना संक्रमित की कुल संख्या 43 लाख के करीब पहुंच गई है,
वहीं ब्राजील को पछाड़कर भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित देश हो गया है,
अभी संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में है ।
सबसे बड़ा सवाल देश की सरकार से
लेकिन सवाल यह है इतनी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ने के बावजूद देश में लॉकडाउन खोल दिया गया है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 21 दिनों में कोरोना को खत्म करने का फंडा भी विफल हुआ,
इसके बाद अलग-अलग गाइडलाइंस के साथ लॉकडाउन लगे, लेकिन उनका कोई फायदा नहीं हुआ,
और फिर सरकार ने नई गाइडलाइन में धीरे धीरे सभी बंद चीजों को वापस खोल दिया, और बाजार में वही चहल-पहल फिर से शुरू हो गई ।
कोरोना संक्रमित के मामले बढ़ना शुरू, वही लॉकडाउन भी खुलना शुरू
वही जब कोरोना के गिनती के मामले थे उसी समय लॉकडाउन लगा दिया गया, लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमित के
मामले बढ़ना शुरू हुए सरकार ने लॉकडाउन खोल दिया, इसे सरकार का प्रोपेगेंडा माना जा रहा है, कि सरकार आखिर
चाहती क्या है ? आपके आसपास में जिस समय कोरोना संक्रमित नहीं थे, उस वक्त लोगों का घर से निकलना बंद था,
लेकिन अब जब तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं तो आप खुलेआम बाहर घूम रहे हैं।
आने वाले समय में इससे भी भयानक बीमारियां आने वाली है- WHO
वही डब्ल्यूएचओ के एक बयान के अनुसार उनका कहना है कि आने वाले समय में इससे भी भयानक बीमारियां
आने वाली है पूरी दुनिया तैयार रहें और इसके लिए सरकार को भी तैयारियां रखनी चाहिए ।
कोरोना वैक्सीन के नाम पर दुनियाभर और भारत देश में भी केवल ट्रायल चल रहे हैं,
अभी तक कोई वैक्सीन बनकर तैयार नहीं हुई है, लोगों के दिल और दिमाग में कोरोना का खौफ धीरे-धीरे खत्म होता हुआ नजर आ रहा है।
अब मुख्य सवाल जो है वो ये है- क्या वास्तविकता में कोई कोरोना है या नहीं, या इससे डरना चाहिए
या नहीं, अगर डरना चाहिए तो सरकार अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह क्यों नहीं निभा रही है, और नहीं डरना चाहिए
तो फिर से पहले की तरह सब कुछ वापस नॉर्मल क्यों नहीं कर दिया जाता ।
स्कूल और कॉलेजों को बंद कर कर रखा गया है
शिक्षा के नाम पर अभी सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद कर कर रखा गया है, वही अब भगवान के द्वार को खोल दिया गया है, स्कूल के
अलावा जिम, मंदिर ,मेट्रो, और शराब की दुकानें यह पहले की तरह फिर से खोल दी गई है,
और साथ में सरकार की नई गाइडलाइंस
के अनुसार कोरोना से संक्रमित व्यक्ति व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी उसके परिजन कर सकते हैं, यह सारी बातें सरकार के सामने रखने के लिए
हम कोशिश रहे हैं, जिसके माध्यम से लोगों को समझ आ सके की वास्तविकता में कोरोना नाम की बीमारी जो केवल
अब बातों के अंदर है, वास्तविकता में इसका कोई असर नहीं है, या जो मरते हुए आंकड़े अब सामने आ रहे हैं वह केवल एक खौफ है।
सरकार कोरोना के नाम पर अलग-अलग आर्थिक पैकेज बनाती रही
सरकार कोरोना के नाम पर अलग-अलग आर्थिक पैकेज बनाती रही और लोगों तक पहुंचाने का काम करती रही
लेकिन जब यह सवाल लोगों के बीच में जाकर पूछा जाता है, तो सुनने में केवल ये आता है कि हमारे तक तो कुछ नहीं पहुंचा,
अगर किसी तक कुछ पहुंचा है तो वह बेरोजगारी है, भारत की जीडीपी लगातार गिरती जा रही है और सरकार का ध्यान आने वाले चुनाव पर जाता जा रहा है।
आज तक का सबसे बड़ा 20 लाख करोड़ का जो आर्थिक पैकेज
आर्थिक पैकेज के नाम पर आज तक का सबसे बड़ा 20 लाख करोड़ का जो आर्थिक पैकेज सरकार ने बनाया जिसे लोगों
तक बताने के लिए 5 दिन का समय भी लिया, लेकिन उसका अब कोई अता पता नहीं है कि
किसको कितना उसमें से मिला, अगर यह सवाल उठाए जाए और लोगों तक पहुंचाया जाए तो लोगों को समझ आ पाएगा कि
भारत सरकार उनके लिए क्या कर रही है, जिसे आपने अपने भले के लिए चुना, एक राजा का फर्ज होता है कि अपनी प्रजा को किसी भी
तकलीफ का सामना ना करने दें उसको रोजगार दे, उसको पर्याप्त खाना दे, लेकिन इस बार राजा
के होते हुए जनता ने तकलीफ भी उठाई, बेरोजगार भी हुई, मौतें भी हुई
लेकिन राजाजी गरीब को खाना नहीं, मोर को दाना खिलाने में व्यस्त है, अब देखना ये है की
ये दौर कब तक चलता है ।
नोट – इस रिपोर्ट के माध्यम से हमारा उद्देश्य किसी को ठेस पहुचाना नही है, बस जनता की आवाज बनकर उस आवाज को उठाना है ।
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