Tokyo Olympics: वंदना कटारिया ने हॉकी में हैट्रिक गोल दाग रचा इतिहास, दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हराया

भारतीय महिला हॉकी टीम ने ग्रुप ए के अपने आखिरी मैच में दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हरा दिया। उत्तराखंड के हरिद्वार के एक छोटे से गांव रोशनाबाद की रहने वाली वंदना कटारिया ने मैच में 3 गोल कर इतिहास रच दिया।
Tokyo Olympics: वंदना कटारिया ने हॉकी में हैट्रिक गोल दाग रचा इतिहास, दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हराया

डेस्क न्यूज़- भारतीय महिला हॉकी टीम ने ग्रुप ए के अपने आखिरी मैच में दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हरा दिया। उत्तराखंड के हरिद्वार के एक छोटे से गांव रोशनाबाद की रहने वाली वंदना कटारिया ने मैच में 3 गोल कर इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक मैच में गोल की हैट्रिक बनाने वाली भारत की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनीं। 29 वर्षीय वंदना पहले खो-खो खिलाड़ी बनना चाहती थीं, लेकिन अच्छी दौड़ने की गति के कारण हॉकी खेलना शुरू किया।

परिवार नहीं बनाना चाहता था खिलाड़ी, पिता ने दिया साथ

वंदना हॉकी से पहले खो-खो खेलती थी। 2002 में खो-खो की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में वंदना द्वारा एक शानदार रिकॉर्ड बनाने के बाद, कोच कृष्ण कुमार ने 11 वर्षीय वंदना की ऊर्जा को देखा और उसे हॉकी में ले लिया। वंदना बताती हैं कि उनकी दौड़ने की स्पीड अच्छी थी। इसलिए उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। 2003 में हॉकी कोच प्रदीप चिनोटी वंदना को अपने साथ मेरठ ले आए। 2006 में वंदना ने केडी सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ में एडमिशन लिया और वहां ट्रेनिंग शुरू की। वंदना कहती हैं, "मेरे परिवार वाले नहीं चाहते थे कि मैं एक लड़की बनकर बाहर जाऊं, लेकिन मेरे पिता मेरा साथ देते थे। उन्होंने मेरी पूरी मदद की, इसलिए लोग उन्हें ताना भी मारने लगे."

7 में से 5 भाई बहन खेलों से जुडे

वंदना अपने 7 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। वंदना के 5 भाई-बहन खेलों से जुड़े हैं। बड़ी बहन रीना कटारिया भोपाल एक्सीलेंस में हॉकी कोच हैं और छोटी बहन अंजलि कटारिया हॉकी खिलाड़ी हैं। पंकज कराटे और सौरभ भाई फुटबॉल खिलाड़ी और कोच हैं।

पिताजी पैसे उधार लेकर ट्रेनिंग के लिए भेचते थे

वंदना के पिता BHEL में काम करते थे। वंदना कहती हैं, "कभी-कभी स्थिति ऐसी हो जाती थी कि मेरे पास बाहर ट्रेनिंग के लिए पैसे नहीं होते थे। पापा उधार लेकर मुझे ट्रेनिंग के लिए भेजते थे। 2005 में, मैंने उत्तर प्रदेश की टीम के लिए खेलना शुरू किया। मैं भाग्यशाली थी। वह 2011 में मुझे रेलवे में जूनियर टीसी के पद पर स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी मिल गई।2010 में राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम में मेरा चयन हो गया।

2013 में बनाए गए सर्वाधिक गोल

इसके बाद से वंदना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 2013 महिला हॉकी जूनियर विश्व कप में सबसे अधिक गोल किए और टीम को कांस्य पदक जीतने में मदद की। वंदना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जूनियर वर्ल्ड कप के बाद मीडिया ने उनके पिता का इंटरव्यू लिया था। उस समय उनकी आंखों में आंसू थे। पिता को गौरवान्वित करना उनकी हॉकी यात्रा के सबसे अच्छे पलों में से एक है।

अर्जुन पुरस्कार के लिए हुई नामित

वंदना 2014 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम इंडिया का हिस्सा थीं। उन्होंने रियो ओलंपिक में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व भी किया। कटारिया ने भारत के लिए 218 मैच खेले हैं और 58 गोल किए हैं। वंदना राष्ट्रीय टीम में अपने चयन का पूरा श्रेय अपने लखनऊ कोच विष्णु प्रकाश शर्मा और पूनम लता को देती हैं। उनके पसंदीदा खिलाड़ी अर्जेंटीना की लुसियाना आयमार हैं। उन्हें 2021 में अर्जुन पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था।

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