दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघू स्थित किसानों के विरोध स्थल के पास एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। अब इस मामले में करीब 15 दलित संगठनों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को ज्ञापन देकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। पंजाब के तरनतारन जिले के रहने वाले 35 वर्षीय लखबीर सिंह का शव मंच के पास पुलिस बैरिकेड्स से बंधा मिला, जिसे दस महीने से विरोध कर रहे किसानों ने तैयार किया है।
धारदार हथियार के वार से बने उसके शरीर पर करीब 10 निशान थे। इस घटना के लिए निहंगों के एक समूह को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अखिल भारतीय खटीक समाज, अखिल भारतीय बेरवा विकास संघ, धनक कल्याण संघ और दलित कर्मचारियों और पेशेवरों के अन्य संगठनों सहित 15 दलित संगठनों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (सिंघू बॉर्डर मर्डर दलित) के अध्यक्ष विजय सांपला को एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने आयोग से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है। राजनीतिक दलों ने घटना की निंदा की और व्यापक जांच की मांग की। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि इस घटना से पता चलता है कि अराजकतावादी खुद को किसान नेता कह रहे हैं। सांपला ने हरियाणा पुलिस से 24 घंटे के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट भी मांगी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो क्लिप में कुछ निहंग खून से लथपथ जमीन पर पड़े एक आदमी के बगल में खड़े नजर आ रहे हैं और उसका बायां हाथ कट गया है। निहंगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मृतक ने सिखों की पवित्र पुस्तक को अपवित्र किया है। दिल्ली से सटी सीमा पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों की शीर्ष इकाई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि निहंगों के समूह ने इस नृशंस हत्या की जिम्मेदारी ली है। उनका दावा है कि लखबीर ने सिखों के पवित्र ग्रंथ सरबलोह ग्रंथ को तोड़ने की कोशिश की थी।