Polygamy Ban: असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध की तैयारी में सीएम बिस्वा; ट्वीट कर दी जानकारी

Polygamy Ban: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मुस्लिम बेटियों को बच्चा पैदा करने वाली मशीन नहीं बल्कि डॉक्टर और इंजीनियर बनाया जाना चाहिए।
Polygamy Ban: असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध की तैयारी में सीएम बिस्वा; ट्वीट कर दी जानकारी

Polygamy Ban: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 9 मई 2023 को कहा कि राज्य सरकार असम में बहुविवाह पर रोक लगाएगी। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'एक से ज्यादा शादियों पर बैन लगाने के लिए आने वाले कुछ समय में असम सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का फैसला किया है।

ये कमेटी पता करेगी कि क्या विधानसभा को राज्य में बहुविवाह पर रोक लगाने का अधिकार है? यह कमेटी भारत के संविधान के आर्टिकल 25, संविधान में दिए राज्य के नीति निदेशक तत्व और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट 1937 के प्रावधानों का अध्ययन करेगी। कमेटी सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श भी करेगी। ताकि सही निर्णय लिया जा सके।’

कर्नाटक में इस ओर किया था इशारा

दरअसल बीते 6 मई को असम के सीएम सरमा कर्नाटक के कोडागु जिले के शनिवारासंथे मदिकेरी में रोड़ शो करने पहुंचे थे। यहां जनता को संबोधित करते उन्होंने कहा कि असम में समान नागरिक संहिता को लागू करना बेहद जरूरी है। ताकि पुरुष के "चार-चार शादियां" करने और महिलाओं को "बच्चा पैदा करने वाली मशीन" समझने की प्रथा को समाप्त किया जा सके।

सीएम ने कहा कि मुस्लिम बेटियों को बच्चा पैदा करने वाली मशीन नहीं बल्कि डॉक्टर और इंजीनियर बनाया जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने पर वादा किया था कि वह समान नागरिक संहिता पर काम करेंगे और इसके लिए वो उनका धन्यवाद देना चाहते हैं।

क्या हैं बहुविवाह के नियम?

आईपीसी के धारा 494 (पति या पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी करना) के तहत दो शादियां करना या कहें बहुविवाह करना एक अपराध है। इस धारा में कहा गया है कि अगर किसी का पति या पत्नी जिंदा है, मगर वह फिर भी शादी करता है, तो ऐसे हालात में उसकी शादी मान्य नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका वर्तमान पति या पत्नी अभी जिंदा है। ऐसा करने पर उसे जेल में सजा काटनी पड़ सकती है।

बहुविवाह के अपराध में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हालांकि, इस धारा के तहत तब कार्रवाई नहीं होती है, जब अदालत द्वारा किसी शादी को अवैध करार दिया गया है। उदाहरण के लिए अगर किसी बाल विवाह के मामले को अवैध घोषित कर दिया जाए।

इसके अलावा यह कानून तब लागू नहीं होता है जब पति या पत्नी सात साल से अलग रह रहे हों। आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब यह है कि शादी के रिश्ते में अगर पति या पत्नी में से किसी एक ने शादी छोड़ दी हो या जब सात साल तक उसका ठिकाना नहीं पता है, तो ऐसी स्थिति में पति या पत्नी किसी और से विवाह कर सकते हैं।

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