BHEL की 1164.21 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश शासन के नाम दर्ज होगी

भेल को सौंपी गई 6 हजार एकड़ भूमि के संबंध में जरूरी कार्यवाही के निर्देश जारी
BHEL की 1164.21 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश शासन के नाम दर्ज होगी
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न्यूज – राजस्व विभाग द्वारा कलेक्टर भोपाल को निर्देशित किया गया है कि बीएचईएल (BHEL) के आधिपत्य में सौंपी गई 6 हजार एकड़ भूमि में से कुल 1164.21 एकड़ भूमि, जो भेल द्वारा उपयोग में नहीं लाई जा रही है, को मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के नाम दर्ज किया जाये। इस भूमि का उपयोग औद्योगिक निवेश बढ़ाने में किया जायेगा।

Image Credit – financial express
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गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा भेल को नगर निगम भोपाल की सीमाओं में स्थित लगभग 6 हजार एकड़ शासकीय भूमि का वर्ष 1959 से 1962 के मध्य आधिपत्य सौंपा गया था। यह भूमि कारखाना स्थापित करने एवं अन्य आनुषंगिक गतिविधियों के लिये आधिपत्य में दी गई थी। इस भूमि में से लगभग 1164.21 एकड़ भूमि का भेल द्वारा कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है।

राजस्व विभाग द्वारा कलेक्टर भोपाल को भेल (बी.एच.ई.एल.) के आधिपत्य में सौंपी गई 6 हजार एकड़ भूमि के संबंध में जरूरी कार्यवाही के निर्देश दिये गये हैं। भेल द्वारा 3121.40 एकड़ भूमि का उपयोग वर्तमान में कारखाना एवं अन्य आनुषंगिक गतिविधियों के लिये किया जा रहा है। इस भूमि के भेल के पक्ष में विधिवत आवंटन के लिये प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजें, जिससे आवंटन आदेश एवं पट्टा देने की कार्यवाही की जा सके।

भेल से 611.45 एकड़ भूमि वापस लेकर अन्य विभागों/उपक्रमों को दी गई, परंतु अभी भी इस भूमि में भेल का नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज है। ऐसे प्रकरणों में यथास्थिति हस्तांतरण संबंधित विभागों को (मध्यप्रदेश शासन के विभागों के मामले में) किया जाये अथवा भूमि का आवंटन संबंधित विभागों/ उपक्रमों को ( भारत शासन के विभाग, अन्य राज्य शासन के विभाग/उपक्रम एवं राज्य शासन के उपक्रम के मामलों में) करने के लिये यथोचित प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजें।

कुल 1084.62 एकड़ भूमि जो राज्य और केन्द्र शासन के विभागों एवं संस्थानों द्वारा उपयोग में लाई जा रही है, तथा संबंधित विभाग का नाम दर्ज है, इन प्रकरणों में यदि संबंधित विभाग मध्यप्रदेश शासन का न होकर केन्द्र शासन का है अथवा संबंधित संस्थान मध्यप्रदेश, केन्द्र शासन अथवा अन्य राज्य शासन का उपक्रम है और इन्हें भूमि का विधिवत आवंटन आदेश जारी नहीं किया गया है तो इस संबंध में यथोचित प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजा जाये।

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