AAP Party News: आम आदमी पार्टी पर विज्ञापनों पर बेशुमार दौलत खर्च करने का आरोप लगता रहा है। इसी मामले पर दिल्ली में एक बार फिर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल आमने-सामने हैं। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी (AAP) से 97 करोड़ रुपये वसूली के आदेश दिए हैं। केजरीवाल की पार्टी पर सरकारी विज्ञापन के नाम पर राजनीतिक विज्ञापन देने का आरोप है।
इसी क्रम में उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि आम आदमी पार्टी से विज्ञापन के 97 करोड़ रुपये की वसूली की जाए। केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विज्ञापन नीति का उल्लंघन किया है।
इस मामले में कोर्ट के 2016 के आदेश पर उपराज्यपाल ने विज्ञापन नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति को जांच में गलत पाए गए विज्ञापनों पर खर्च की गई राशि का आकलन करने को कहा था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों में 'आप' का जिक्र करने, मुख्यमंत्री के विचारों का विज्ञापन जारी करने और विपक्ष को निशाना बनाने का दोषी पाया था।
आदेश में कहा गया है कि चार कैटेगरी के विज्ञापनों पर केजरीवाल सरकार ने 97 करोड़ रुपये खर्च किया है। इनमें से 42 करोड़ से ज्यादा का भुगतान पहले ही संबद्ध एजेंसियों को किया जा चुका है। इस चलते उपराज्यपाल ने कुल 97 करोड़ रुपये तत्काल प्रभाव से सरकारी खजाने में जमा कराने को कहा है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के पास लंबित पड़ी केंद्र की 11 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है। एलजी कार्यालय के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। जिसमें बताया गया कि लंबे समय से केंद्र की कई परियोजनाओं को मंजूरी का इंतजार था। जिनमें श्रीनिवासपुरी में जीपीआरए कॉलोनी का पुनर्विकास 2019 से लंबित, जीपीआरए सरोजिनी नगर अगस्त 2021 से लंबित और एनएचएआई द्वारा शहरी विस्तार सड़क (यूईआर-द्वितीय), सितंबर 2021 से लंबित थी।
अधिकारियों ने कहा कि उपराज्यपाल ने "जीएनसीटीडी नियमावली (टीओबीआर), 1993 के व्यापार के लेनदेन नियम 19 (5) के संदर्भ में फ़ाइलों को वापस बुलाने की अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर केजरीवाल सरकार को 11 फाइलें भेजने के लिए कहा है।
टीओबीआर का नियम 19(5) उपराज्यपाल को जनहित में मंत्रियों/मुख्यमंत्री के पास अत्यधिक लंबित फाइलों को वापस लेने का अधिकार देता है। नियम 19(5) सरकार को एलजी को फाइलें भेजने के लिए मजबूर करता, भले ही उन्होंने इसे मंजूरी दी हो या नहीं। टीओबीआर के नियम 19(5) को लागू करने की बात करते हुए पत्र 9 दिसंबर को भेजा गया था।