गुजरात के मोरबी में हुए हादसे की खबर बेहद दर्दनाक है। मच्छू नदी के ऊपर बने केबल सस्पेंशन ब्रिज के टूटने से लगभग 140 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है। और ये गिनती अभी जारी है। लगातार ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। कई लोगों का परिवार उजड़ गया, कईयों ने अपने मां, बाप तो कईयों ने अपने बच्चे हमेशा हमेशा के लिए खो दिए।
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 140 लोगों की जान जाने के पीछे अब तक गुजरात सरकार ने किसी की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की है।
ये पुल लगभग 143 साल पुराना था। जैसा तस्वीरों में दिख रहा है ये पुल केबलों के सहारे टिका हुआ है और ऐसा नहीं है ये इस तरह का दुनिया में एक मात्र पुल है ऐसे हजारों पुल दुनिया भर में मौजूद हैं लेकिन इन हजारों पुलों पर इस तरह की लापरवाही नहीं होती जैसी यहां हुई है।
आपको बता दें कि 140 साल पुराने इस पुल को 7 महीने पहले बंद कर दिया गया था और इस पर रिनोवेशन का काम शुरू कर दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, इस पुल के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ‘ओरेवा ग्रुप’ नामक प्राइवेट कंपनी के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037, यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है।
ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने और स्टाफ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी थी। अब समझ नहीं आता कि आखिर ये किस तरह का रख रखाव था कि ब्रिज खुलने के 5 दिन के अंदर ही इतना बड़ा हादसा हो गया।
गलती गुजरात सरकार की भी उतनी ही नजर आ रही है। क्योंकि जिस तरह का ये हादसा हुआ है कि लगता नहीं है कि रिनोवेशन का काम पूरा होने के बाद किसी जिम्मेदार सरकारी अधिकारी ने इस ब्रिज का मुआयना किया होगा। और अगर किया भी होगा किन आधारों इस पुल को पास कर दिया गया ये तो भगवान ही जाने !!
दूसरी तरफ बताया जा रहा है पुल पर जाने के लिए 15 रूपए का टिकट काटा जाता है, और पुल की अधिकतम क्षमता यानी कि 100 लोगों को पुल पर भेजा जाता है लेकिन हादसे के समय इस पर 400 से 500 लोग मौजूद थे।
पुल कर्मचारियों ने यानि कि ओरेवा ग्रुप के कर्मचारियों ने 100 की क्षमता वाले पुल पर 500 लोगों के टिकट काट दिए।
माना भीड़ थी लेकिन इसका मतलब ये तो कतई नहीं है कि क्षमता से 5 गुना लोगों को पुल पर भेज दिया जाए.. इससे तो यही लगता है कि इस कंपनी ने चंद पैसों को लिए 500 लोगों की जान जोखिम में डाल दी।
हादसे के बाद गुजरात सरकार ने मृतकों के लिए 4 लाख हर्जाने की घोषणा की है। लेकिन अब भाजपा सरकार को कौन समझाए कि इन चंद पैसों के किसी के घर का इंसान वापस नहीं आता।
जरूरत है जिम्मेदारी तय करने की, दोषियों को सजा देने की, ठीक तरीके से पुल का संचालन करने की। गुजरात सरकार ने जांच कमेटी तो बैठा दी है लेकिन इन दोषियों पर कब कार्रवाई होगी ये कोई नहीं जानता ।