डेस्क न्यूज. मकर संक्रांति पर्व हरियाणा के ग्रामीण परिवेश में 30-40 वर्ष पूर्व से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन सुबह से ही घर के सभी सदस्य जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले नहा लेते है। बुजुर्ग गली के नुक्कड़ पर आग जलाकर बाहर बैठते और हुक्का गुड़गुड़ाते रहते है। घर की महिलाएं भी सुबह के समय देसी घी का हलवा बनाती है और सभी सदस्यों का मुंह मीठा करवाती है। हलवा सालों से ग्रामीण परिवेश में सबसे खास मीठा व्यंजन रहा है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह हर घर में हलवा बनाया जाता था।
मकर संक्रांति के दिन बुजुर्गों की बहुत सेवा होती है। बहू अपनी सास और बुजुर्ग दादा-दादी को कंबल भेंट करती है। ग्रामीण भाषा में इसे वृद्धजनों को मनाना कहा जाता है। इस दिन कई गांवों में बुजुर्ग नाराज होकर चले जाते है, तब घर की महिलाएं पड़ोसियों के साथ मिलकर गीत गाती है हर घर में खुशियों के माहौल के साथ बुजुर्गों की सेवा की जाती है।
अब सुबह आग जलाने वाले घरों के सामने कोई नहीं बैठता। पहले आग जलाकर सभी आस-पास बैठकर मूंगफली खाकर बुजुर्ग लोग हुक्का गुड़गुड़ाते रहते थे। लेकिन तब मनोरंजन का कोई साधन नहीं था। इस वजह से आग के पास बैठकर लोग अपना मनोरंजन कर लिया करते थे। अब केवल एक परंपरा के रूप में, यहां सुबह घर के सामने आग जलाते हैं। बड़ों को मनाने की परंपरा भी अब विलुप्त हो गई है।
मकर संक्रांति के दिन देवलोक में दिन की शुरुआत होती है, इसलिए इसे देवयान भी कहा जाता है। इस दिन देवलोक के कपाट खोले जाते हैं। इसलिए मकर संक्रांति के दिन दान, धर्म करना बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना पुण्य के साथ वापस मिलता है।