हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तिथियों के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दल जोरशोर से तैयारियों में जुट गए हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी के भी चुनावी रण में उतरने से मुकाबला रोचक होने वाला है। तीनों की दलों ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है।
भाजपा और कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। जबकि आम आदमी पार्टी ने 20 सितंबर को चार प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। आप पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर सकती है। सूचियां देखकर यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने जाति फैक्टर का पूरा ध्यान रखा है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 2017 की तरह इस बार भी सिराज सीट से भाजपा उम्मीदवार होंगे। उनके खिलाफ कांग्रेस ने चेतराम ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। 2017 में भी जयराम के खिलाफ चेतराम ही कांग्रेस उम्मीदवार थे। तब उन्हें 11 हजार से ज्यादा वोट से हार का सामना करना पड़ा था।
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं। भाजपा ने इनमें से 62 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। छह सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान अभी बाकी है। वहीं, कांग्रेस ने मंगलवार रात 46 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए। 22 सीटों पर नामों का ऐलान बाकी हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में 44 सीटें जीतने वाली भाजपा ने एक मंत्री समेत 11 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया है। दो मंत्रियों की सीट बदली गई है। एक मंत्री की टिकट काटकर बेटे को उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस की पहली लिस्ट में छह नए चेहरों को मौका मिला है। इनमें ठियोग से कुलदीप राठौर, चौपाल से रजनीश किमटा, नगरोटा से रघुवीर बाली, चुराह से यशवंत खन्ना, बंजार से खीमी राम और झंडूता से विवेक कुमार शामिल हैं।
कांग्रेस की पहली सूची में तीन महिलाओं को टिकट मिला है। इसमें डलहौजी से आशा कुमारी, मंडी से चंपा ठाकुर और पच्छाद से दयाल प्यारी को उतारा गया है। भाजपा ने चम्बा से इंदिरा कपूर, इंदौरा से रीता धीमान, शाहपुर से सरवीण चौधरी, पच्छाद से रीना कश्यप और रोहड़ू से शशि बाला को उम्मीदवार बनाया है। पच्छाद सीट पर दोनों पार्टियों ने महिलाओं को टिकट दिया है। ऐसे में यहां दो महिला उम्मीदवारों में टक्कर हो सकती है।
कांग्रेस ने मौजूदा 22 विधायकों में से 21 को फिर से टिकट दिया है। सिर्फ किन्नौर विधायक को अब तक उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। किन्नौर सीट पर पार्टी ने किसी दूसरे नाम का भी अभी एलान नहीं किया है। यहां से किन्नौर विधायक जगत सिंह नेगी के साथ युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नेगी निगम भंडारी भी टिकट के दावेदार हैं।
कांग्रेस की पहली लिस्ट में परिवारवाद का छाप भी देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने 46 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है। इनमें से करीब 13 कैंडिडेट ऐसे हैं जिनका सियासी घरानों से संबंध है। इस सूची में हिमाचल के 6 बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे और मौजूदा विधायक विक्रमादित्य सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर के बेटे रोहित ठाकुर का नाम शामिल है। कांग्रेस ने कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर, पूर्व मंत्री पंडित संत राम के बेटे सुधीर शर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल के बेटे आशीष बुटेल, पूर्व मंत्री जी।एस। बाली के बेटे रघुवीर सिंह बाली, पूर्व सांसद केडी सुल्तानपुरी के बेटे विनोद सुल्तानपुरी, पूर्व मंत्री सत महाजन के बेटे अजय महाजन, पूर्व विधायक शेर सिंह ठाकुर के भाई सोहन लाल ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है।
68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में जातीय समीकरण काफी दिलचस्प हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में सबसे ज्यादा आबादी 50।72% सवर्ण जातियों की है। इसमें राजपूत समुदाय की संख्या 30।72% है। दूसरे नंबर पर 18% प्रतिनिधित्व के साथ ब्राह्मणों का नंबर आता है। इन दोनों बड़ी जातियों को जोड़कर कुल आंकड़ा राज्य की आधी आबादी का हो जाता है। ऐसे में हिमाचल की सत्ता पर सत्ता की कुर्सी पर बैठने के लिए अपर कास्ट राजपूत और ब्राह्मण को साधना हर एक पार्टी की पहली प्राथमिकता रहती है। यहां राजपूत और ब्राह्मणों के हाथ में ही सत्ता की चाबी है।
हिमाचल की सियासत में अपर कास्ट का और उसमें भी विशेषकर राजपूतों का कैसा दबदबा है, पिछले चुनावों के परिणामों पर नजर डालें तो हिमाचल की 68 विधानसभा में से 20 सीटें रिजर्व हैं, इनमें में 17 अनुसूचित जाति और 3 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, बाकी की 48 सामान्य सीटें हैं। 2017 के चुनावों में इन सामान्य 48 सीटों में 33 विधायक राजपूत चुन कर आए। इनमें बीजेपी के 18, कांग्रेस के 12, अन्य के 3 हैं। राजपूत विधायकों की संख्या करीब 50 फीसदी रही।
सीएम भी राजपूत जय राम ठाकुर को बनाया गया और प्रदेश कैबिनेट में छह राजपूत मंत्री शामिल किए गए। प्रदेश में इससे पहले बने छह सीएम में से पांच राजपूत और एक ब्राह्मण समुदाय से रहे हैं। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और हिमाचल के निर्माता कहे जाने वाले डॉ. वाईएस परमार भी राजपूत थे।
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह जिन्होंने कुल 6 बार सीएम पद की कुर्सी संभाली, वह भी राजपूत थे। दो बार सीएम बनने वाले प्रेम कुमार धूमल तथा रामलाल ठाकुर भी राजपूत थे। केवल शांता कुमार ही ब्राह्मण जाति के ऐसे नेता रहे हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर भी राजपूत समुदाय से हैं। पूर्व में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुके सतपाल सिंह सत्ती भी राजपूत थे।