भारत ने गुरुवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के जम्मू-कश्मीर पर एक बयान को खारिज कर दिया और उसे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणियों के लिए अपने मंच का फायदा उठाने की अनुमति देने से परहेज करने के लिए कहा।
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) की यह कड़ी टिप्पणी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लिए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर ओआईसी के महासचिव द्वारा जारी बयान के जवाब में आई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हम ओआईसी के महासचिव द्वारा जारी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए एक और अस्वीकार्य रिफ्रेंस को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं।" अरिंदम बागची ओआईसी के बयान पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।
प्रवक्ता अरंदिम बागची ने कहा, "ओआईसी का भारत का अभिन्न अंग केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित मामलों में कोई अधिकार नहीं है। हम फिर से कहते हैं कि ओआईसी महासचिव को आंतरिक मामलों पर टिप्पणियों के लिए अपने मंच का फायदा उठाने की अनुमति देने से बचना चाहिए।
मालूम हो कि 5 अगस्त 2019 में भारत सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेते हुए आर्टिकल 370 को हटा दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। गुरुवार को इस फैसले के दो साल पूरे हुए हैं।
ओआईसी ने अपने बयान में इन स्टेप्स को रद्द करने के लिए कहा था। ओआईसी जनरल सेक्रेटेरियट ने इंटरनेशनल समुदाय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार जम्मू और कश्मीर के मुद्दे को हल करने के लिए कोशिशों को तेज करने के लिए भी कहा था। बता दें कि ओआईसी एक मुस्लिम बहुल देशों का समूह है।
दरअसल, एक बयान में ओआईसी महासचिवालय ने 'इन सभी कदमों को रद्द करने की मांग की है।' ओआईसी महासचिवालय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिर से आह्वान किया है कि 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के मुद्दे को हल करने के लिए उसके प्रयासों को तेज किया जाए। ओआईसी मुस्लिम बहुल राष्ट्रों का समूह है।'