J&K: सरकारी विभाग में पकड़े 'आतंकी', कोई यूनिवर्सिटी का PR तो कोई राजस्व विभाग में था अधिकारी

Jammu and Kashmir News: सरकारी विभाग में मौजूद कुछ कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों के चलते बर्खास्त कर दिया गया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मीडिया को यह जानकारी दी है।
J&K: सरकारी विभाग में पकड़े 'आतंकी', कोई यूनिवर्सिटी का PR तो कोई राजस्व विभाग में था अधिकारी

Jammu and Kashmir News: भारत में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के इशारों पर काम करने वाले तीन मददगार पकड़े गए हैं। ये तीनों जम्मू-कश्मीर में सरकारी अधिकारियों के तौर पर काम कर रहे थे। आतंकियों के लिए काम करने वाले तीनों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है।

दरअसल इन कर्मचारियों पर विभाग लंबे समय से निगरानी बनाए हुए था तथा कुछ खुफिया जानकारी के तहत अलग अलग विभाग के कर्मचारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ISI के संपर्क में तथा पाकिस्तान के लिए काम करते पाए गए है।

फहीम असलम कश्मीर यूनिवर्सिटी का PRO (जनसम्पर्क अधिकारी) था। वहीं अर्शिद अहमद पुलिस महकमे में तो हुसैन मीर राजस्व विभाग में तैनात था। तीनों पर आतंकी विचारधारा को बढ़ावा देने और आतंकियों के लिए पैसे जुटाने जैसे आरोप हैं। सोमवार यानी की 17 जुलाई को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीनों को बर्खास्त कर जानकारी सावर्जनिक की।

लंबे समय से रखी जा रही थी नजर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बर्खास्त किए गए तीनों सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से निगरानी की जा रही थी। फहीम असलम साल 2006 में कश्मीर यूनिवर्सिटी में बतौर संविदा कर्मचारी नियुक्त हुआ था। थोड़े समय बाद उसे नियमित कर दिया गया। ग्रेटर कश्मीर पर लिखे गए लेख और सोशल मीडिया हैंडल पाकिस्तान के प्रति उसकी वफादारी की पुष्टि करते हैं।

इनमें 23 मई 2020 को लिखी एक पोस्ट शामिल है। इस पोस्ट में फहीम ने लिखा था, “एक सच्चाई जो कभी बदल नहीं सकती। कश्मीर हमेशा पाकिस्तान के साथ ईद मनाएगा। हम पाकिस्तान के साथ रहेंगे।”

एक अन्य पोस्ट में फहीम ने कश्मीर में मारे गए आतंकियों की तारीफ की थी। यूनिवर्सिटी में उसकी नियुक्ति भी संदेहों के घेरे में है। तब इस पद के लिए न तो कोई विज्ञापन जारी हुआ था और न ही उसका पुलिस वेरिफिकेशन करवाया गया था।

बर्खास्त हुआ पुलिस कॉन्स्टेबल अर्शिद अहमद साल 2006 में भर्ती हुआ था। शुरुआत में वह जम्मू-कश्मीर पुलिस के सशत्र बल में था जो बाद में नागरिक पुलिस में ट्रांसफर हो गया था। सिपाही अर्शिद अहमद ठोकर कई सुरक्षा प्राप्त लोगों के गनर के रूप में भी काम कर चुका है। हुसैन मीर रेवेन्यू डिपार्टमेंट का मुलाजिम था।

तीनों पर विदेशी आकाओं के इशारे पर काम करने का आरोप है। मना जा रहा है कि ये सभी भारत के खिलाफ लोगों को भड़का रहे थे।

अब तक 50 सरकारी कर्मचारियों की हुई पहचान

न्यूज चैनल आज तक की खबर के अनुसार जम्मू-कश्मीर में कई सरकारी कर्मचारी, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और आतंकियों के लिए काम करते रहे हैं। प्रदेश में से जबसे धारा 370 और 35A हटाई गई है, तब से ही 50 सरकारी कर्मचारियों को आतंकियों की मदद करने की वजह से निकाला जा चुका है।

महबूबा ने LG पर साधा निशाना

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद करने के आरोप में तीन अधिकारियों को सस्पेंड करने पर पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने एलजी पर निशाना साधा है।

महबूबा ने ट्टीट कर कहा कि ऐसे समय में जब राज्य बेरोजगारी से जूझ रहा है, ऐसे में 'टेरर लिंक' जैसे बेतुके कारणों पर आजीविका का अपराधीकरण केवल विश्वास की कमी को गहरा कर रहा है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)बी का दुरुपयोग करके किया जा रहा है।

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