Jammu and Kashmir : 2 जून की रात को कश्मीर के त्राल में आतंकियों ने नगर पालिका के अध्यक्ष और भाजपा नेता राकेश पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी। इससे पहले भी पंचायती राज और स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों की हत्या की जाती रही है। सवाल उठता है कि आखिर राकेश पंडित का गुनाह क्या था? राकेश पंडित त्राल नगर पालिका के अध्यक्ष के नाते विकास कार्य करवा रहे थे और घाटी में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा के प्रति जागरूक थे।
Jammu and Kashmir : टीवी चैनलों पर भी राकेश पंडित अपने विचार रखते थे। त्राल में हो रहे विकास कार्यों का लाभ मुस्लिम आबादी को भी मिल रहा है।
इसलिए नगर पालिका का अध्यक्ष बनने के बाद राकेश पंडित ने ऐसा एक भी कार्य नहीं किया जो भेदभाव पूर्ण हो। यही वजह रही कि राकेश पंडित की मुस्लिम समुदाय में भी लोकप्रियता थी। शायद यही बात आतंकियों को रास नहीं आई।
2 जून को जब राकेश पंडित सुरक्षा जवानों के बगैर पड़ौस में किसी से मिलने गए तो मौका देख कर आतंकियों ने गोली मार कर हत्या कर दी। असल में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और शांति होने का काम पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को रास नहीं आ रहा है, इसलिए जनप्रतिनिधियों को मारा जा रहा है।
राकेश पंडित की हत्या की जिम्मेदारी भी पाक समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली है। कश्मीर का आम मुसलमान अब शांति और सुकून चाहता है, लेकिन पाकिस्तान में बैठे आतंकी अभी भी कश्मीर का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। आतंकियों का पता है कि राकेश पंडित की हत्या से कश्मीर का माहौल तनावपूर्ण होगा।
पाकिस्तान में बैठे आतंकी तो यही चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच झगड़ा होता रहे। उन्हें कश्मीर में मुसलमानों की समृद्धि और विकास से कोई सरोकार नहीं है। आतंकी अभी उन्हीं नेताओं का समर्थन करते हैं, जिन्होंने 70 वर्षों तक कश्मीर को लूटा है।
राकेश पंडित की हत्या के बाद सुरक्षाबलों को हत्यारों को तो सजा देनी ही चाहिए, लेकिन पहली प्राथमिकता कश्मीर में शांति कायम रखना है। यदि कश्मीर में अशांति होगी तो आतंकी अपने मंसूबों में सफल होंगे। जम्मू कश्मीर की सरकार को भी चाहिए कि राकेश पंडित के परिवार का ख्याल रखे। पंडित अपने पीछे बुजुर्ग माता पिता, पत्नी और एक पुत्र को छोड़ गए हैं।