JNU हिंसा – पुलिस ने बैकडेट में दर्ज की एफआईआर…

3 जनवरी की घटना के लिए 1 जनवरी को एफआईआर दर्ज बैकडेटे से एफआईआर क्यों दर्ज कराई गई,
JNU हिंसा – पुलिस ने बैकडेट में दर्ज की एफआईआर…

डेस्क न्यूज़- जेएनयू हिंसा मामले में एक नया खुलासा हुआ है, आरटीआई से मिली एक जानकारी में पता चला है कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बैक डेट से एफआईआर दर्ज की है, रिपोर्ट के मुताबिक जेएनयू के सर्वर रूम में तोड़फोड मामले में दिल्ली पुलिस ने दो FIR दर्ज किया है, इसके मुताबिक 1 जनवरी और 4 जनवरी को सर्वर रूम को निशाना बनाया गया था, लेकिन आरटीआई के तहत मिली जानकारी में पता चला है कि 1 तारीख को तोड़ फोड़ की कोई घटना नहीं हुई है,

RTI से हुआ खुलासा

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाने के लिए 2 एफआईआर दर्ज की थी, इसके मुताबिक 1 जनवरी 2020 और 4 जनवरी 2020 को लेफ्ट से जुड़े छात्र सगंठनों के सदस्यों ने सर्वर रूम में हिंसा की थी, इस दौरान JNUSU की अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल थी, हालांकि RTI से मिली एक जानकारी दूसरी ही बात कहती है, आरटीआई में बताया गया है कि 1 जनवरी को सर्वर रूम में तोड़फोड़ की कोई वारदात नहीं हुई है, मौजूद आरटीआई की कॉपी के मुताबिक कहानी कुछ अलग है, आरटीआई में पूछा गया था कि 25 दिसंबर 2019 से 8 जनवरी 2020 तक तोड़ फोड़ की कितनी घटनाएं हुई, जबकि जेएनयू का मुख्य सर्वर डाउन था

इस सवाल के जवाब में जेएनयू ने कहा, दो घटनाएं हुई, पहली-जेएनयू का मुख्य सर्वर 3 जनवरी को बंद करा दिया गया, ये घटना 1.30 बजे हुई, दूसरी- 4 जनवरी को पावर सप्लाई में आई बाधा की वजह से 1.30 बजे जेएनयू का मुख्य सर्वर बंद हो गया,

1 जनवरी को तोड़फोड़ नहीं, तो FIR कैसे

अब सवाल ये है कि जब 1 जनवरी को तोड़फोड़ नहीं हुई तो 1 जनवरी की किस घटना के लिए एफआईआर दर्ज करवाई गई, सवाल ये भी है कि 3 जनवरी की घटना के लिए बैकडेट में एफआईआर क्यों दर्ज कराई गई,

NCPRI ने मांगी थी सूचना

आरटीआई के तहत ये जानकारी सौरव दास ने मांगी थी, सौरव दास नेशनल कैम्पेन फॉर पीपल्स राइट नाम की संस्था के सदस्य हैं, इस आरटीआई में ये भी कहा गया है कि सर्वर रूम के मुख्य गेट पर लगे बायोमैट्रिक सिस्टम और सीसीटीवी कैमरा को न तो 3 जनवरी और न ही 4 जनवरी को तोड़ा गया था, आरटीआई से यह भी जानकारी सामने आई है कि जेएनयू कैंपस के मेन गेट पर कोई सीसीटीवी सर्वर नहीं लगाया गया है,

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