जयपुर नगर निगम की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर के बाद खिलाफ राज्य सरकार अगले सप्ताह न्यायिक जांच शुरू करवा सकती है।गौरतलब है की पिछले सप्ताह स्वायत्त शासन विभाग ने न्यायिक जांच करवाने का प्रस्ताव नगरीय विकास मंत्री (UDH) मंत्री शांति धारीवाल को भिजवाया था, वही मंत्री ने मंजूरी दे दी है। संभावना है कि अगले सप्ताह ये प्रस्ताव विधि विभाग में जाने के बाद विभाग के पैनल में शामिल न्यायिक अधिकारियों में से किसी के भी जरिए जांच शुरू करवाई जा सकती है।
स्वायत्त शासन विभाग के सूत्रों की माने तो दो दिन पहले शुक्रवार को निलंबित मेयर और तीनों पार्षदों का जवाब आने के बाद इस प्रस्ताव को तैयार करके मंत्री के यहां भिजवाया गया था, जिसे मंत्री ने मंजूरी दे दी है। कहा जा रहा है कि अगर मेयर के खिलाफ न्यायिक जांच बैठती है तो उन्हे इस्तीफा भी देना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ ये भी बात सामने आ रही है कि जो मुकदमा ज्याेति नगर थाने में तीनों पार्षदों के खिलाफ हुआ है, उसकी चार्टशीट भी पुलिस ने तैयार कर ली है, जिसे सोमवार को न्यायालय में पेश की जा सकती है।
राज्य सरकार के निलंबन के आदेश को सौम्या गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर शुक्रवार को बहस भी हुई। बहस के बाद न्यायालय ने इसकी सुनवाई 14 जून को भी जारी रखने का निर्णय किया। संभावना जताई जा रही है कि 14 जून को इस मामले में कोर्ट भी अपना कोई फैसला सुना सकता है। कोर्ट में सौम्या गुर्जर की तरफ से दलील दी गई है कि उनका पक्ष सुने बिना ही सरकार ने उन्हें पद से निलंबित कर दिया, जबकि उनके खिलाफ थाने में मुकदमा भी दर्ज नहीं है।
इसके अलावा उन्होंने जांच करवाने वाले अधिकारी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक आरएएस अधिकारी कैसे एक आईएएस अधिकारी या जनप्रतिनिधि की जांच कर सकता है। इधर सरकार ने इस मामले में पक्ष रखा है कि सरकार बिना पक्ष सुने प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही कर सकती है। वहीं सरकार ने यह भी कहा कि प्रार्थिया को नोटिस देकर जांच अधिकारी ने पक्ष रखने का समय भी दिया