जानिए क्या है, पब्लिक सेफ्टी एक्ट

उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
जानिए क्या है, पब्लिक सेफ्टी एक्ट
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न्यूज – जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के तहत नजरबंद रखने के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

इस मामले में सोमवार को वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि उन्होंने जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। सारा अब्दुल्ला पायलट ने अपनी याचिका में नजरबंदी के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि इसमें बताई गईं वजहों के लिए पर्याप्त सामग्री और ऐसे विवरण का अभाव है जो इस तरह के आदेश के लिए जरूरी है। सारा अब्दुल्ला पायलट ने अपनी याचिका में नजरबंदी के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि इसमें बताई गईं वजहों के लिए पर्याप्त सामग्री और ऐसे विवरण का अभाव है जो इस तरह के आदेश के लिए जरूरी है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के तहत नजरबंद रखने के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी

इसमें कहा गया है कि यह ऐसा मामला है कि वे लोग जिन्होंने सांसद, मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री के रूप में देश की सेवा की और राष्ट्र की आकांक्षाओं के साथ खड़े रहे, उन्हें अब राज्य के लिए खतरा माना जा रहा है।याचिका में कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला को चार-पांच अगस्त, 2019 की रात घर में ही नजरबंद कर दिया गया था। बाद में पता चला कि इस गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 107 लागू की गई है।

लोक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर संगीन आरोप लगाए गए हैं। पीएसए डोजियर में दोनों नेताओं के हिरासत की वजह यह बताई गई है कि 49 वर्षीय उमर ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन की पूर्व संध्या पर अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने को लेकर भीड़ को उकसाने का काम किया था। उमर ने इस फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी लोगों को भड़काया था, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी।

इस मामले में सोमवार को वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि उन्होंने जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। सारा अब्दुल्ला पायलट ने अपनी याचिका में नजरबंदी के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि इसमें बताई गईं वजहों के लिए पर्याप्त सामग्री और ऐसे विवरण का अभाव है जो इस तरह के आदेश के लिए जरूरी है।

इसमें कहा गया है कि यह ऐसा मामला है कि वे लोग जिन्होंने सांसद, मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री के रूप में देश की सेवा की और राष्ट्र की आकांक्षाओं के साथ खड़े रहे, उन्हें अब राज्य के लिए खतरा माना जा रहा है।याचिका में कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला को चार-पांच अगस्त, 2019 की रात घर में ही नजरबंद कर दिया गया था। बाद में पता चला कि इस गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 107 लागू की गई है।

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