MP News: यूपी की तरह एमपी के मदरसों का भी होगा सर्वे; जानें सीएम ने क्या दिए निर्देश?

MP News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कट्‌टरता का पाठ पढ़ाने वाले अवैध मदरसों और संस्थानों का रिव्यू होगा। Since Independence की रिपोर्ट में जानें सरकार क्यूं करा रही सर्वे?
MP News: यूपी की तरह एमपी के मदरसों का भी होगा सर्वे; जानें सीएम ने क्या दिए निर्देश?
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MP News: मध्य प्रदेश सरकार अब मदरसों पर निगरानी बढ़ाने जा रही है। प्रदेश सरकार ने यूपी की तर्ज पर अपने यहां चल रहे मदसों का सर्वे कराने का फैसला किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उच्चाधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि कट्‌टरता का पाठ पढ़ाने वाले अवैध मदरसों और संस्थानों का रिव्यू होगा।

सीएम चौहान ने कहा कि प्रदेश में किसी तरह का अतिवाद और कट्‌टरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कानून व्यवस्था की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि सोशल मीडिया पर भ्रम फैलानी वाली खबरों, अभद्र कंटेंट और कट्टर विचारों वाले पोस्ट पर कड़ी निगाह रखी जाए और तत्काल ऐक्शन लिया जाए।

मदरसों को लेकर मिल रहीं शिकायतें

  • पिछले साल अक्टूबर में मध्य प्रदेश बाल आयोग ने विदिशा में मदरसा मरियम का निरीक्षण किया था। वहां 37 बच्चों में से 21 हिन्दू और पांच आदिवासी थे। वहां पढ़ा रहे पांच शिक्षकों में से किसी के पास भी यूजी और पीजी या बीएड की डिग्री नहीं थी।

  • पिछले साल जून में भोपाल के दो मदरसों में बिहार से लाए गए बच्चे मिले थे। अशोका गार्डन और नारियलखेड़ा में चल रहे दो अवैध मदरसों को बाल आयोग ने बंद करा दिया था।

  • कुछ महीनों पहले बाण गंगा में चल रहे दो मदरसों में दूसरे राज्यों से बच्चे लाकर रखने की शिकायत भी मिली थी।

  • दतिया के अरबिया मदरसे में 26 हिन्दू बच्चे इस्लामिक शिक्षा लेते मिले थे। अल्पसंख्यकों को केंद्र की मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप मिलती है।

2689 मदरसे संचालित हैं MP में

मदरसा बोर्ड के मुताबिक प्रदेश भर में 2689 मदरसे संचालित हैं। इनमें से 1755 के पास डाइस कोड और मान्यता है। डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर कार्यालय के मुताबिक भोपाल में ऐसे 479 मदरसे हैं। हालांकि प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे चल रहे हैं जो कहीं से संबद्ध नहीं हैं। पहले मदरसों को केंद्र से ग्रांट मिलती थी,लेकिन 2014 के बाद ग्रांट मिलनी बंद हो गई, क्योंकि मदरसों के खिलाफ कई तरह की शिकायतें मिल रही थीं।

बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक तीन तरह के मदरसे देश में चल रहे हैं। मान्यता प्राप्त या प्रक्रिया वाले और वो जिनसे प्रशासन का संपर्क नहीं हुआ है। तीसरी कैटेगरी में वो संस्थान हैं जिनमें औरंगजेब के जमाने की शिक्षा दी जा रही है।आयोग ने एमपी सरकार को पिछले साल पत्र लिखकर निजी तौर पर संचालित मदरसों की मैपिंग के निर्देश दिए थे।

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