MP News: मध्य प्रदेश में दमोह जिले के गंगा-जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल से हिन्दू बच्चियों के हिजाब में पोस्टर वायरल होने के बाद से नए खुलासे हो रहे हैं। विवादों में आए इस स्कूल पर धर्मांतरण कराए जाने का भी आरोप लगा है। कन्वर्जन का आरोप विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) और हिन्दू जागरण मंच की ओर से लगाए गए थे, जोकि सच साबित होते नजर आ रहे हैं।
मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम को यहां से ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जोकि बता रहे हैं कि कैसे-कैसे यहां पर हिन्दू एवं अन्य गैर मुसलमानों के बच्चों को टार्गेट करते हुए उन्हें इस्लाम में कन्वर्ट करने के लिए मनोवैज्ञानिक खेल खेला जाता था।
यहां की प्राचार्य भी हिन्दू पूजा पद्धति को छोड़कर न सिर्फ इस्लाम को मानने लगीं, बल्कि पूरी तरह से हिन्दू से मुस्लिम बन गई हैं। स्कूल संचालक के पास हजारों एकड़ जमीन का भी पता चला है। स्कूल को विदेशी फंडिंग मिलने की बात भी सामने आ रही है।
राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम को कई अहम सबूत मिले हैं, जो यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि भले ही इस स्कूल की मान्यता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की सख्ती के कारण रद्द कर दी गई हो, किंतु अभी इस स्कूल के खिलाफ जांच लम्बी चलेगी। इस पर न सिर्फ धर्मपरिवर्तन के आरोप लगने शुरू हुए हैं, बल्कि आर्थिक अनियमितता संबंधी भी कई सबूत मौजूद हैं।
स्कूल की दो महिला टीचर के भी कन्वर्जन की बात सामने आई है। उन्हें हिंदू से मुस्लिम बनाया गया। विद्यालय की प्रिंसिपल जो कल तक खरे थीं वे अब अफसरा शेख बन चुकी हैं। विद्यालय के भीतर जांच के दौरान राज्य बाल आयोग की टीम को जगह-जगह ऐसे स्लोगन, पोस्टर और वाक्य लिखे मिले जोकि मजहब विशेष के प्रति हैं। यह आधुनिक विज्ञान से भी भरोसा उठा देते हैं।
जांच के लिए पहुंचे राज्य बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि हमें भरोसा नहीं था कि वाकई एक स्कूल संचालक अल्पसंख्यक के नाम पर विद्यालयीन संस्था चलाने की आड़ में अपना निजी एजेंडा भी चला सकता है। यहां हमारी टीम को बहुत कुछ आपत्तिजनक सामग्री मिली है, जिसका स्कूल शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है।
इस स्कूल के स्टाफ की जानकारी में अनेक कमियां पाई गई हैं। धर्मांतरण की कई शिकायते मिली हैं। ऐसे कई लोग हैं जो कि धर्म परिवर्तन के बाद यहां नौकरी पर लाए गए हैं। हमने इसे संज्ञान में लिया है, शासन को भी इस संपूर्ण मामले के संबंध में अवगत कराया गया है।
मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने कहा कि हमारे लिए बालकों का हित ही सर्वोपरि है। जिस तरह से इस विद्यालय ने हिजाब को स्कूली ड्रेस कोड में शामिल कर इसे प्रतिदिन पहनकर आना अनिवार्य किया था, ऐसा किया जाना सीधे तौर पर भारतीय संविधान को नहीं मानना कहलाएगा। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन है।
”लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी, जिंदगी शमा की सूरत हो खुदाया मेरी…” जैसे गीत स्कूल की प्रार्थना में शामिल मिले। यह गीत एक धर्म विशेष के प्रति अपने भरोसे को व्यक्त करता हुआ दिखता है। इसी प्रकार यहां अन्य कई खामियां मिली हैं, जिन्हें राज्य बाल सरंक्षण आयोग ने तो संज्ञान में लिया ही है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगोजी द्वारा भी गंभीरता से लिया गया। उन्होंने जिला कलेक्टर से सीपीसीआर एक्ट, 2005 की धारा-13 (1) (जे) के अंतर्गत इस संपूर्ण मामले को संज्ञान में लेते हुए सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि दमोह स्कूल के समूह से जो जुड़े हुए हैं, जिसमें आप देखेंगे कि इदरीश खान, जलील खान और मुस्ताक खान इन तीन लोगों का टेरर फंडिंग का क्या संबंध है? हजारों एकड़ जमीन इनके पास कहां से आई?
हमारी बहनों को लव जिहाद में फंसा कर स्कूल प्रबंधन द्वारा जो कार्य इनके द्वारा किया गया है, इसके लिए इनके ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई मात्र नहीं, धर्मांतरण की कार्रवाई भी होनी चाहिए। शर्मा ने कहा कि टेरर फंडिंग को लेकर भी जांच होनी चाहिए।
भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी इसे लेकर बड़ा बयान दिया है। भोपाल में प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा- विधर्मी अपना-अपना कार्य करते हैं। धर्म पर चलने वाले लोग जब शिथिल होते हैं तो अधर्म बढ़ता जाता है और अभी यही हो रहा है। वो अपने मिशन और षड्यंत्रों को लेकर चल रहे हैं।
हमारे समाज में शिक्षा का क्षेत्र देवस्थान माना जाता है। वहां पर यह कुकृत्य कर रहे हैं। मैं ऐसे लोगों को धिक्कारती हूं। मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार दोनों सचेत हैं। इनको उचित दंड मिलेगा, यह सुनिश्चित है।
वहीं दमोह के इस स्कूल से जुड़े एक के बाद एक खुलासे होने पर नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का कहना है कि प्रदेश में 18 साल से भाजपा की सरकार है। मामले में अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? दमोह की घटना के लिए सरकार को जवाब देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व ही गंगा जमुना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाकर टॉपर्स की लिस्ट में होर्डिंग के माध्यम से दिखाने का मामला प्रकाश में आया था। जिसके बाद हिन्दू संगठनों ने इस पर आपत्ति की थी।
तब स्कूल शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग एवं स्वयं कलेक्टर ने इस विद्यालय को अपनी जांच में दोषमुक्त करार दे दिया था, लेकिन जब बाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसकी पुन: गहराई से पड़ताल करने के निर्देश दिए।
इसके बाद हुई जांच में यहां अन्य कई खामियां उजागर हुईं, जिसके बाद स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई। अब नया एंगल यहां से धर्मांतरित किए गए लोगों का पाया जाना सामने आ रहा है।