मणिपुर विधानसभा चुनाव की तारीखों का संशोधन कर हुआ ऐलान, अब 28 फरवरी और 5 मार्च को होगी वोटिंग

चुनाव आयोग ने मणिपुर विधानसभा चुनाव की नई तारीखों का ऐलान कर दिया है. अब वहां चुनाव 28 फरवरी और 5 मार्च को वोटिंग होंगी. आपको बता दे की 2017 में विधानसभा चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला था, ऐसे में इस बार भी यहां काफी कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.
मणिपुर विधानसभा चुनाव की तारीखों का संशोधन कर हुआ ऐलान, अब 28 फरवरी और 5 मार्च को होगी वोटिंग

चुनाव आयोग ने गुरुवार को मणिपुर विधानसभा चुनाव की तारीखों में संशोधन कर बताया कि पहले चरण का मतदान 27 फरवरी को था अब वह 28 फरवरी को होगा साथ ही दूसरे चरण का मतदान 3 की जगह 5 मार्च को होगा. पहले चरण में 38 सीटों पर मतदान होगा और बाकी 22 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होगा. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं. इस चुनाव को लेकर वहां की सभी पार्टिया प्रचार प्रसार में जोर शोर से जुटी है. चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के साथ कई क्षेत्रीय दल चुनावी मैदान में हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, ऐसे में इस बार भी यहां काफी कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.

पिछले महीने चुनाव आयोग ने मणिपुर के उग्रवादी गुटों को विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट से वोटिंग के जरिए वोट करने की परमिशन दी थी. ये वो उग्रवादी हैं. जिन्होंने सरकार से सीजफायर को लेकर समझौता किया है. साथ ही इनके नाम वोटिंग लिस्ट में भी जुडे हैं. हालांकि चुनाव आयोग ने उन संगठनों के सामने कई तरह की शर्ते भी रखी हैं. चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि इन सभी मतदाताओं को उनके मताधिकार के अधिकार को ध्यान में रखते हुए पोस्टल बैलेट जरिए उन्हे वोटिंग की परमिशन दी गई. क्योंकि उन्हे कैंप्स से बाहर नहीं लेकर आया जा सकता.

सरकार कई संगठन से जुड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश कर रही है. उम्‍मीद है कि आगे भी कई उग्रवादी संगठन सरकार से हाथ मिला सकते हैं. इसके साथ ही सरकार के साथ कई अंडरग्राउंड गुटों ने भी मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर साइन किया है. इस समय मणिपुर में 20 से ज्यादा उग्रवादी गुट हैं. कुकी उग्रवादी गुट दो बड़े समूहों की तरह एक्टिव हैं. यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन. इन दोनों संगठनों ने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन पर साइन किए हुए हैं. इससे पहले 2017 में एक चरण में हुआ था चुनाव.

पिछला विधानसभा चुनाव एक चरण में खत्म हुआ था. उस समय कांग्रेस को 28 सीटें, बीजेपी को 21, NPF को 4, NPP को 4, LJP को 1, तृणमूल को 1 और निर्दलीय को 1 सीट मिली थी. चुनाव के पूरे होने के बाद बीजेपी के नेतृत्व में NDA गठबंधन की सरकार बनी, जिसमें NPF, NPP और LJP सहयोगी भूमिका में आए.

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