केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि कर राजस्व में कमी और कोरोनोवायरस महामारी के कारण स्वास्थ्य खर्च में हो रही वृद्धि के चलते केंद्र पर वित्त का बड़ा दबाव है। ऐसे में कोरोना से मरने वाले सभी लोगों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इससे आपदा राहत कोष पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
इससे आने वाले समय में कोरोना की अन्य लहरों से निपटने के लिए की जा रही तैयारियां भी प्रभावित होंगी। गृह मंत्रालय की ओर से जमा किए गए हलफनामे में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 12 अधिसूचित आपदाओं के लिए अनुग्रह राहत राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के माध्यम से प्रदान की जाती है ।
वर्ष 2021-22 के लिए एसडीआरएफ का वार्षिक आवंटन सभी राज्यों के लिए संयुक्त रूप से 22,184 करोड़ रुपये है इसलिए यदि कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाती है, तो संभवत: एसडीआरएफ की पूरी राशि अकेले इस पर खर्च हो जाएगी और शायद आगे इसमें और भी इजाफा हो।
गृह मंत्रालय ने तर्क दिया कि महामारी के कारण कर राजस्व में कमी और स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि के कारण राज्यों और केंद्र के वित्त में काफी कमी हो गई है। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि अनुग्रह राशि देने के लिए दुर्लभ संसाधनों के उपयोग से अन्य पहलुओं में महामारी की प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य व्यय को प्रभावित करने के परिणाम दुर्भाग्यपूर्ण हो सकते हैं और इससे काफी नुकसान हो सकता है।