बंगाल चुनाव में मुसलमानों ने TMC को मजबूत किया,वही एग्जिट पोल क्या कहता है जाने ?

राज्य में मुस्लिम आबादी का आकार पश्चिम बंगाल में टीएमसी और असम में कांग्रेस और एआईयूडीएफ को प्रमुखता देता है।
बंगाल चुनाव में मुसलमानों ने TMC को मजबूत किया,वही एग्जिट पोल क्या कहता है जाने ?
Updated on

सी-वोटर एग्जिट पोल के सर्वे के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी ने वाम दलों

और कांग्रेस को धूल चटा दी और पश्चिम बंगाल में

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के लिए मतदान किया,

मगर दो जिलों मुर्शिदाबाद और मालदा को छोड़कर, जबकि उन्होंने असम में कांग्रेस

और एआईयूडीएफ गठबंधन को वोट दिया।

दिल्ली स्थित पोल सर्वे एजेंसी सी-वोटर्स/ टाइम्स नाउ/एबीपी न्यूज के अनुसार, पश्चिम बंगाल में,

कुल 22 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने वाम और कांग्रेस का समर्थन किया

और उनमें से 67.3 प्रतिशत ने टीएमसी को वोट दिया।

राज्य में भाजपा को 6.1 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले।

सी-वोटर के संस्थापक और सिन्फोलॉजिस्ट यशवंत देशमुख ने आईएएनएस को बताया,

राज्य में मुस्लिम आबादी का आकार पश्चिम बंगाल में टीएमसी

और असम में कांग्रेस और एआईयूडीएफ को प्रमुखता देता है।

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम)

और प्रभावशाली धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी की नई पार्टी,

भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा जैसी पार्टियां भी चुनावी मैदान में उतरीं,

लेकिन तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ा नहीं कर पाईं।

असम में, 76.2 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस और एआईयूडीएफ को वोट दिया, 6.4 प्रतिशत ने भाजपा को और 17.5 प्रतिशत ने अन्य को वोट दिया।

2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल की जनसंख्या 9.13 करोड़ थी। पश्चिम बंगाल राज्य में 2.47 करोड़ मुस्लिम हैं, जो राज्य की आबादी का 27.01 प्रतिशत हैं।

वही कई बार सीटों को लेकर एग्जिट पोल के अनुमान सटीक नहीं होते

पिछले 5 लोकसभा चुनाव यानी 1999 से लेकर अब तक 2019 तक 37 बड़े एग्जिट पोल आए, लेकिन करीब 90% अनुमान गलत साबित हुए।

1999 में हुए चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने NDA की बड़ी जीत दिखाई थी। उन्होंने NDA को 315 से ज्यादा सीट दी थीं। नतीजों के बाद NDA को 296 सीटें मिली थीं।

2004 में एग्जिट पोल पूरी तरह से फेल साबित हुए। अनुमानों में दावा किया गया था कि कांग्रेस की वापसी नहीं हो रही। सभी ने भाजपा को बहुमत मिलता दिखाया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। NDA को 200 सीट भी नहीं मिल सकीं। इसके बाद कांग्रेस ने सपा और बसपा के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई।

2009 में भी एजेंसियों ने UPA को 199 और NDA को 197 सीटें मिलने के कयास लगाए गए थे, लेकिन UPA ने 262 सीटें हासिल की थीं। NDA 159 सीटों पर सिमटकर रह गया था।

2014 और 2019 में सत्ता का अनुमान सही साबित हुआ

2014 में एग्जिट पोल्स ने NDA को बहुमत मिलता दिखाया था। एक एजेंसी ने भाजपा को 291 और NDA को 340 सीटें मिलने का कयास लगाया था।
नतीजा, अनुमान के काफी करीब रहा।

भाजपा को 282 और NDA को 336 सीटें मिलीं।

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 10 एग्जिट पोल्स में NDA को दी गई सीटों का औसत 304 था।

यानी NDA को दोबारा सत्ता मिलने का अनुमान ठीक था, लेकिन यहां भी सीटों के मामले में अनुमान गड़बड़ हो गए।

नतीजों में NDA की बजाय अकेले भाजपा को 303 सीटें मिलीं। NDA के खाते में 351 सीटें आईं।

पिछले साल नवंबर में बिहार के विधानसभा चुनाव के वक्त भास्कर का एग्जिट पोल सबसे सटीक रहा था। भास्कर ने NDA को 120 से 127 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। नतीजों में NDA को 125 सीटें मिलीं। जबकि, ज्यादातर चैनलों के एग्जिट पोल में महागठबंधन की सरकार बनने का अनुमान जताया गया था।

Like and Follow us on :

logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com