भिखारियों पर पाबंदी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई मांग, कहा, कोई मर्जी से भीख नहीं मांगता

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगवाई वाली बैंच ने मंगलवार को कहा कि कई लोगों के पास शिक्षा का अभाव है
भिखारियों पर पाबंदी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई मांग, कहा, कोई मर्जी से भीख नहीं मांगता
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सुप्रीम कोर्ट ने भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कहा कि भीख मांगना सामाजिक और आर्थिक समस्या है और रोजगार और शिक्षा के अभाव में कुछ लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भीख मांगने पर मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अभिजात्य नजरिया नहीं अपनाएगी कि सड़कों पर भीख मांगने वाले नहीं होने चाहिए। अदालत ने कहा कि गरीबी एक समस्या है और साथ ही यह सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के कारण हो रहा है।

आइडिया यह हो कि उनका पुनर्वास किया जाए और उनके व उनके बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए। कोई भी अपनी मर्जी से भीख मांगना नहीं चाहता। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगवाई वाली बैंच ने मंगलवार को कहा कि कई लोगों के पास शिक्षा का अभाव है। साथ ही उनके पास रोजगार नहीं है।

भीख मांगने वालों का पुनर्वास और वैक्सीनेशन जरूरी है, क्योंकि यह गंभीर खतरा हैं।

उन्हें जीवन यापन के लिए बुनियादी जरूरत पूरी करनी होती है और इसी कारण वे भीख मांगने पर मजबूर होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा है कि वह इस गुहार पर विचार नहीं करेंगे कि सड़कों से भीख मांगने वाले या खानाबदोश किस्म के घुमक्कड़ों या बेघरों को हटाने का निर्देश जारी करें। वह दूसरी गुहार पर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं, जिसमें मांग की गई है कि सड़कों पर फिरने वाले घुमक्कड़ों व भीख मांगने वालों का कोविड के मद्देनजर वैक्सीनेशन किया जाए और पुनर्वास किया जाए।

भीख मांगने वालों का पुनर्वास और वैक्सीनेशन जरूरी है

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि कि वह मामले में सहयोग करें और सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कोविड के तीसरे वेव की आशंका के मद्देनजर यह मामला अहम है। भीख मांगने वालों का पुनर्वास और वैक्सीनेशन जरूरी है, क्योंकि यह गंभीर खतरा हैं।

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